अथाह पानी के बाद भी प्यासा है गाँव!

 

 

(संतोष बर्मन)

घंसौर (साई)। बरगी बाँध की विपुल जलराशि आँखों के सामने दिखायी देती है पर कलकुही गाँव के लोग बूंद – बूंद पानी को तरस रहे हैं। ऐसे हालात को क्या कहा जाये, कि सामने अथाह पानी दिखायी दे और लोग प्यास से तड़प रहे हों।

ऐसी ही कुछ परिस्थितियों में कलकुही गाँव के वाशिंदे जैसे – तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। सिवनी जिले के दूरस्थ आदिवासी अंचल घंसौर की ग्राम पंचायत सूरजपुरा के कलकुही से विशाल बरगी बाँध दिखायी तो देता है, लेकिन लोगों को इस क्षेत्र में पानी नहीं मिल पा रहा है। लोगों को प्यास बुझाने के लिये गहरायी में जाकर झिरिया खोदकर पानी तलाशना पड़ रहा है।

लगभग 400 की आबादी वाले कलकुही गाँव में पेयजल आपूर्ति के लिये नल – जल योजना तो कभी आयी ही नहीं। गाँव के एक छोर पर लगा एकमात्र हैण्डपंप भी गिरते भूमिगत जल स्तर के कारण थोड़ी – थोड़ी देर में हिम्मत हार जाता है। ऐसे में लोगों को मजबूरन गाँव से लगभग दो किलोमीटर दूर झाड़ी झुरमट के बीच गहरायी में झिरिया से मटमैला पानी भरकर अपनी प्यास बुझाने का इंतजाम करना पड़ रहा है।

घंसौर ब्लॉक के एक हिस्से में बरगी बाँध है। इस बाँध के पानी से कई गाँवों की प्यास बुझायी जा सकती है। इसी कोशिश में जल समस्या से जूझ रहे क्षेत्रीय ग्राम कलकुही, रजोला, सूरजपुरा, महरतला, तुनिया, दिवारी, दिवारा, जम्होड़ी, पनारझिर के ग्रामीण लगातार प्रशासन से सामूहिक नल – जल योजना से पानी देने की माँग करते आ रहे हैं। इन ग्रामों के लोगों का कहना है कि बरगी बाँध से पाईप लाईन बिछाकर गाँव तक आसानी से पानी लाया जा सकता है,। इस तरह पेयजल और सिंचाई की समस्या भी दूर की जाकर ग्रामीणों को राहत दिलवायी जा सकती है।

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