सालों से नहीं की गयी तलहटी की सफाई
(आनंद तिवारी)
छपारा (साई)। एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बाँध की तलहटी की साफ सफाई न होने से भीमगढ़ की जल संग्रहण क्षमता कम होती जा रही है। ऊपर से भले ही बाँध में जलस्तर लबालब दिख रहा हो किन्तु तलहटी पर जमा सिल्ट, गाद आदि के चलते इसमें जल संग्रहण क्षमता में कमी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सत्तर के दशक में आयरन लेडी के नाम से मशहूर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा की दूरंदेशी का परिणाम था सिवनी में बैनगंगा नदी पर बनाया गया विशाल जल संग्रह क्षमता वाला भीमगढ़ बाँध। इस दौर में अनेक जिलों की परियोजनाओं को साथ मिलाकर सिवनी में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय की स्थापना करवायी गयी थी।
सिंचाई विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भीमगढ़ बाँध के आरंभ होने के बाद से इसकी तलहटी और जल भराव क्षेत्र की गाद, सिल्ट आदि साफ नहीं करायी गयी है। सूत्रों का कहना है कि भीमगढ़ बाँध का जल स्तर गर्मियों में कम हो जाता है, जिसके चलते आसपास का जल भराव क्षेत्र सिमट कर रह जाता है।
सूत्रों ने कहा कि हर पंचवर्षीय में ही अगर इसके कैचमेंट एरिया (जल भराव क्षेत्र की सिल्ट निकलवा दी जाये तो बारिश के समय भीमगढ़ बाँध में जल संग्रहण क्षमता में बढ़ौत्तरी की जा सकती है। अगर जल संग्रहण क्षमता में बढ़ौत्तरी होती है तो हर साल गर्मियों में होने वाली पानी की किल्लत से मुक्ति मिल सकती है।
इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि अस्सी और नब्बे के दशक में लोगों को गर्मी में भीमगढ़ बाँध में जल स्तर कम होने पर इसकी तलहटी में काली चट्टानें और पत्थर दिखायी दे जाते थे, जो कालांतर में सिल्ट और गाद में गुम हो चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि इसकी नियमित सफाई न होने से अब अनेक स्थानों पर पानी काफी हद तक उथला ही भरा रह जाता है जो फरवरी मार्च में ही सूख जाता है।
जानकारों की मानें तो इस साल गर्मी में ही अगर पुण्य सलिला बैनगंगा नदी पर बने भीमगढ़ बाँध की तलहटी और कैचमेंट एरिया से सिल्ट और कचरा निकलवा दिया जाये तो आने वाली बरसात में इसकी जल संग्रहण क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है। इसका लाभ आने वाले सालों में देखने को मिल सकता है।

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