(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। गौ, गीता, गंगा महामंच ने गुड़ी पड़वा, चेट्रीचण्ड व विक्रम नवसंवत्सर 2076 के शुभारंभ पर पंचांग पूजन कर वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष व परिधावी नामक नूतन संवत्सर का फल श्रवण किया।
महामंच के सदस्यों के द्वारा गुड़ी पड़वा और विक्रम नव संवत्सर का स्वागत शंख ध्वनि से किया गया। भगवा ध्वज फहराये गये और तिलक लगाकर लोगों को नये साल की शुभकामनाएं दी गयीं। इसके साथ ही दीप प्रज्ज्वलित करके चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्र पर माँ शैलपुत्री की विशेष पूजा – अर्चना की गयी। बच्चों ने गुड़ी पूजन कर एक दूसरे को नूतन वर्ष की शुभकामनाएं दीं।
महामंच के अध्यक्ष रविकान्त पाण्डेय ने बताया कि हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार गुड़ी पड़वा या चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिन्दू नव वर्ष का शुभारंभ माना जाता है। गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा संस्कृत शब्द से बना है जिसका अर्थ है चंद्रमा के उज्ज्वल चरण का पहला दिन। इसे संस्कृत में प्रतिपदा कहा जाता है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि और महाराष्ट्र में यह पर्व गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है।
महामंच ने गुड़ी पड़वा पर आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया। आधुनिक कॉलोनी मे गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर आध्यात्मिक क्विज का आयोजन किया गया, इसमें गुड़ी पड़वा से संबंधित प्रश्न पूछे गये।
गुड़ी के संबंध मे ऋषिका पाण्डेय ने बताया कि गुड़ी पड़वा पर विशेष तरीके से गुड़ी बनायी जाती है। एक बाँस में चाँदी अथवा तांबे का कलश उल्टा लगाकर उस पर नये कोरे कपड़े से बाँधकर नीम या आम की पत्तियां बाँधी जाती है। उसके बाद उसे सजाकर उसकी पूजा की जाती है। ऋषिका पाण्डेय ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था और सतयुग आरंभ हुआ था।