कब होगा लोकार्पण! कन्या आश्रम हो रहा खण्डहर!

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। आदिवासी बाहुल्य घंसौर क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में बने शासकीय भवन वर्षों से लोकार्पण की राह देख रहे हैं। इमारतें बेरंग हो गयी हैं, जिनमें अब कबूतरों के साथ ही अन्य पक्षियों ने अपना डेरा जमा लिया है लेकिन जिम्मेदार अपनी मनमर्जी के चलते इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं और लाखों करोडों की लागत से निर्मित सरकारी संपत्ति अनुपयोगी होकर रह गयी है।

इसका जीता जागता उदाहरण मुख्यालय घंसौर के अंतर्गत कन्या आश्रम बरौदा में देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि लगभग 04 वर्ष पहले निर्मित कन्या आश्रम का आज तक उदघाटन नहीं हो पाया है। इसके चलते कन्या आश्रम में लगे पंखे, खिड़कियां और भी अन्य आश्रम में लगी सामग्रियों पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया है।

आलम यह है कि आश्रम में लगे सभी रौशन दानों के कांच पूरी तरह से टूट चुके हें। आश्रम के अंदर घास उग आयी है। गंदगी से सरोबार आश्रम धीरे – धीरे खण्डहर हो रहा है, जिसकी देखभाल करने वाला अब कोई नहीं है।

क्षेत्रीय नागरिकों ने आश्रम में रह रहे बरौदा निवासी एक ग्रामीण से जब बात की तो उन्होंने बताया कि आश्रम लगभग 04 वर्ष पहले बनाया गया था जिसकी देखभाल करने के लिये उन्हें नरसिंहपुर रहवासी ठेकेदार ने 03 हजार रूपये महीने में चौकीदारी के लिये रखा था जिन्होंने शुरुआती महीनों में उन्हें पैसे दिये लेकिन अब उन्हें तीन महीने के पैसे भी नहीं मिल रहे हैं।

ग्रामीण ने आगे यह भी बताया कि एक दिन ठेकेदार ने उन्हें आश्रम की चाबी थमा दी और कहा कि यह चाबी बरौदा आश्रम की अधिक्षिका को दे दो लेकिन अधीक्षिका ने चाबी लेने से मना कर दिया और कहा कि उनके पास ऊपर से कोई आदेश नहीं आया है। बिना आदेश के वे इस कन्या आश्रम भवन की चाबी नहीं ले सकती हैं।

बताया जा रहा है कि वर्तमान कन्या आश्रम से यह नवनिर्मित आश्रम लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर सुनसान स्थान पर बनाया गया है और वहाँ पर पानी की कोई व्यवस्था भी नहीं है।

बताया जा रहा है कि वर्तमान में संचालित हो रहे कन्या आश्रम में बच्चों को बैठने तक के लिये पर्याप्त जगह नहीं है। एक ही कमरे में नौनिहाल पढ़ाई कर रहे हैं और उसी कमरे में रह रहे हैं, जिसके चलते नौनिहालों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कन्या आश्रम में रह रहे बच्चों के पालकों एवं ग्रामीणों ने कलेक्टर प्रवीण सिंह से अपेक्षा व्यक्त की है कि चार वर्षों से बनकर तैयार आश्रम की तकनीकी खामियों को दूर कर जल्द से जल्द आश्रम संचालित करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को जारी करें, ताकि भवन का उपयोग हो सके।