मातृधाम में जारी है श्रीमद देवी पुराण
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। माँ भगवती की कृपा से ही सृष्टि में संपूर्ण कार्य संचालित हो रहे हैं। माँ की जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से पूजा – अर्चना करता है। उसका माँ भगवती कल्याण करती हैं। उक्ताशय की बात मातृधाम में चल रही श्रीमद देवी भागवत पुराण में काशी से आये कथा वाचक पंडित हितेंद्र शास्त्री ने श्रद्धालु जनों से कहीं।
हितेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि सभी लोगों को श्रीमद देवी भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये व श्रद्धा पूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिये। उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद देवी भागवत पुराण के अनुसार जलंधर असुर शिव का अंश था, लेकिन उसे इसका पता नहीं था। जलंधर बहुत ही शक्तिशाली असुर था। इंद्र को पराजित कर जलंधर तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था। कहते हैं कि यमराज भी उससे डरते थे।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्देवी भागवत पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया इससे जलंधर उत्पन्न हुआ। माना जाता है कि जलंधर में अपार शक्ति थी और उसकी शक्ति का कारण थी उसकी पत्नि वृंदा। वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण सभी देवी – देवता मिलकर भी जलंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे। जलंधर को इससे अपने शक्तिशाली होने का अभिमान हो गया और वह वृंदा के पतिव्रत धर्म की अव्हेलना करके देवताओं के विरुद्ध कार्य कर उनकी स्त्रियों को सताने लगा।
उन्होंने कहा कि जलंधर को मालूम था कि ब्रह्माण्ड में सबसे शक्तिशाली कोई है तो वे हैं देवों के देव महादेव। जलंधर ने खुद को सर्व शक्तिमान रूप में स्थापित करने के लिये पहले इंद्र को परास्त किया और त्रिलोधिपति बन गया। इसके बाद उसने विष्णु लोक पर आक्रमण किया।
हितेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि जलंधर ने विष्णु को परास्त कर देवी लक्ष्मी को विष्णु से छीन लेने की योजना बनायी। इसके चलते उसने बैकुण्ठ पर आक्रमण कर दिया, लेकिन देवी लक्ष्मी ने जलंधर से कहा कि हम दोनों ही जल से उत्पन्न हुए हैं इसलिये हम भाई – बहन हैं। देवी लक्ष्मी की बातों से जलंधर प्रभावित हुआ और लक्ष्मी को बहन मानकर बैकुण्ठ से चला गया। इसके साथ ही कथा वाचक ने अनेक कथाएं सुनायीं।