(ब्यूरो कार्यालय)
मुंबई (साई)। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर विरोधियों द्वारा उठाए गए सवाल भले ही चुनावी मुद्दा बनें या न बनें लेकिन इस विवाद ने कभी गांधी और बच्चन परिवार के करीबी रिश्तों को एक बार फिर लोगों के बीच ला दिया है।
एक अखबार मुंबई मिरर की तफ्तीश में पता चला है कि बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने अपनी शिकायत में जिस पते (2, फ्रॉग्नल वे) का जिक्र किया है, उसी घर में अमिताभ बच्चन के भाई अजिताभ भारत आने से पहले अपने परिवार के साथ रहते थे।
अनबन से पहले बच्चन और गांधी परिवार के रिश्ते काफी मधुर थे। अजिताभ भी सोनिया गांधी और उनके बच्चों के साथ सुख-दुख में खड़े रहते थे। शायद यही वजह थी कि सक्रिय राजनीति में आने से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने नई दिल्ली में अमिताभ और अजिताभ बच्चन से मुलाकात करते हुए अपने ‘मामू‘ का आशीर्वाद लिया था। बच्चन और गांधी परिवार के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रियंका के हमेशा अमिताभ और अजिताभ के साथ अलग संबंध रहे हैं और यह नजदीकी उनकी पत्नियों जया और रमोला से इतर थी।
राहुल और प्रियंका के ‘मामू‘
प्रियंका के बचपन में उनके ‘मामू‘ अमिताभ और अजिताभ की नियमित मौजूदगी थी और अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान दोनों उनसे मिलते रहते थे। मई 1991 में पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद राहुल और प्रियंका दोनों के साथ वे मजबूती से खड़े थे। सुब्रमण्यन स्वामी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि राहुल ब्रिटिश नागरिक हैं और उन्हें अपनी संसद सदस्यता छोड़ देनी चाहिए। इसके बाद मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दो हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का नोटिस दिया है। राहुल इस बार अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं।
हालांकि मुंबई मिरर के पास मौजूद रिकॉर्ड बताते हैं कि गृह मंत्रालय को अपनी तरफ से जांच करवाने में कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए। 2003 में यूके की कंपनियों की लिस्ट में राहुल बैकॉप्स लिमिटेड के डायरेक्टर थे। स्वामी ने अपनी शिकायत में इसी कंपनी का जिक्र करते हुए इसका रजिस्टर्ड दफ्तर लंदन के बाहरी इलाके विंचेस्टर में बताया है।
राहुल के आवासीय पते के रूप में 2, फ्रॉग्नल वे दर्ज है, जो कैमडेन काउंसिल के जिले सीबी के तहत आता है। यहां 2003 से 2008 के बीच वह रजिस्टर्ड वोटर नहीं थे। हालांकि अजिताभ बच्चन, उनकी पत्नी रमोला, बेटियां नम्रता और नीलिमा और बेटे भीम का नाम 2003 से 2005 के दौरान मतदाता रजिस्टर में दर्ज है। 2006 की मतदाता सूची में किसी का नाम नहीं है लेकिन 2007 से संपत्ति के मालिक अलेक्जेंडर इसाक्स और उनके परिवार का नाम वोटर लिस्ट में मौजूद है।
कॉमनवेल्थ देशों के जो नागरिक यूके में रहते हैं, उन्हें ब्रिटेन के चुनावों में वोट देने की इजाजत है, इसलिए यूके की मतदाता सूची में किसी का नाम होने का यह मतलब नहीं है कि वह शख्स ब्रिटिश नागरिक है। हालांकि किसी ब्रिटिश नागरिक के लिए यह काफी असामान्य बात है कि उसका नाम वोटर रजिस्टर में न हो, क्योंकि वहां एक वोटर के रूप में नाम दर्ज कराना काफी आसान है।
जहां तक राहुल पर ब्रिटिश नागरिक होने के आरोपों की बात है तो अकाउंटेंट और टैक्स कंसल्टेंट की तरफ से दस्तावेजों में गड़बड़ी की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता। ब्रिटिश कानून के मुताबिक यूके का कोई नागरिक साथ-साथ दूसरे देश की नागरिकता और पासपोर्ट रख सकता है और राष्ट्रीयता के डीटेल भरने के दौरान चूक होने पर कोई बड़ी कानूनी दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती है। हालांकि जान-बूझकर गलत जानकारी देने पर यूके का कंपनीज हाउस ऐक्शन ले सकता है।
राहुल गांधी क्या कभी ब्रिटिश नागरिक थे, यह पता करना मुश्किल नहीं है अगर यूके का गृह मंत्रालय नई दिल्ली के साथ सहयोग करने को राजी हो जाए। ब्रिटिश नागरिकता हासिल करना ज्यादा कठिन काम है और इसके लिए स्थानीय काउंसिल के सिटिजनशिप प्रोग्राम में हिस्सा लेना पड़ता है। भारत में चुनाव आयोग या केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास यह जानने के कई तरीके हैं कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश नागरिकता ली थी या नहीं। या फिर वे और जानकारी हासिल करने के लिए अजिताभ बच्चन से पूछ सकते हैं।
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