सोशल मीडिया के पास अच्छे और बुरे, दोनों तरह के कंटेंट को प्रसारित करने की ताकत है। मगर हाल-फिलहाल यह नकारात्मक और खतरनाक कंटेंट को ही वायरल करता नजर आया है। फिर चाहे वह डिटर्जेंट खाने वाली चुनौती टाइड पॉड हो या चलती कार से उतरकर नाचने का शगल। लेकिन जब यहां कुछ अटपटा वायरल हो सकता है, तो कुछ सार्थक कंटेंट भी जरूर वायरल किए जा सकते हैं।
इंटरनेट पर हैशटेग के साथ जरा ट्रैशटैग चौलेंज टाइप करके देखिए। यह चुनौती सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों को सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई जैसी सार्थक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रही है। इस चौलेंज के तहत लोग उन जगहों को साफ करते हैं, जहां कूड़ा पसरा रहता है और फिर, कचरे व बिना कचरे वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं।
हालांकि यह हैशटैग 2015 से चल रहा है, लेकिन यह तब सुर्खियों में आया, जब रेडिट नामक कम्युनिटी फोरम के सदस्यों ने इसे एक वैश्विक चुनौती के रूप में पेश किया। हम नेपाली भी ग्लोबल ट्रेंड को कहीं अधिक तेजी और प्रासंगिकता के साथ अपनाते हैं। आइस बकेट चौलेंज को भी हमने हैशटैग फिल द बकेट चौलेंज में ढाल ही दिया था। बहरहाल, अपशिष्ट प्रबंधन एक स्थाई मसला है, और हमारे ज्यादातर सार्वजनिक स्थान खाली बोतलों से अटे पड़े हैं। सड़कों पर भी रैपर पसरा होता है।
काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी जहां घरों से कचरा उठाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है, वहीं हम भी इसी गलत सोच में जीते हैं कि महज घर साफ कर लेने से हमने वातावरण को साफ कर दिया। परिवेश और आसपास की साफ-सफाई सरकार सहित हर आम नागरिक की जिम्मेदारी है। सबसे पहले सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सड़कों पर हर कुछ दूरी पर कचरे का डिब्बा लगाया जाए, और फिर लोग भी उनका इस्तेमाल करके अपनी नागरिक भावना का सुबूत दें। हैशटैग ट्रैशटैग अपने इलाके को साफ रखने के लिए प्रेरित करने का अच्छा तरीका है। उम्मीद कीजिए कि यह अभियान गति पकड़े और नए चौलेंज आने के साथ ही दम न तोड़ दें। (काठमांडू पोस्ट, नेपाल से साभार)
(साई फीचर्स)