हम फिर शर्मिंदा हुए बुआ जी . . .

 

 

(लिमटी खरे)

ब्रहस्पतिवार (16 मई) एवं शुक्रवार (17 मई) की दरमियानी रात लगभग साढ़े बारह बजे कार्यालय से घर पहुँचते ही दरवाजे पर अधिवक्ता शैलेष सक्सेना (शैलू) का फोन आया – दादी नहीं रहीं . . .!

हम अचकचा गये, पूछा : दादी मतलब!

शैलू बोले: विमला वर्मा जी . . .

एक पल के लिये लगा, मानो हमें पक्षाघात हो गया हो . . ., दरवाजे खटखटाये, बेटे शैव ने दरवाजे खोले, हमने कहा बेटा अस्पताल चलना है बुआजी, नहीं रहीं।

बेटा भी अवाक रह गया, पूछा कौन सी बुआजी . . .

हमने कहा बेटा विमला वर्मा जी, उन्हें हमारी पीढ़ी के लोग बुआजी कहकर ही संबोधित किया करते हैं। इसके बाद हमने जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना को फोन लगाया। उन्होंने बताया कि वे अस्पताल में ही हैं। हमने यह दुःखद खबर व्हाट्सएप के कुछ समूहों में पोस्ट की, इसके बाद हम दोनों अस्पताल  पहुँचे। अस्पताल में राज कुमार खुराना, आशुतोष वर्मा, अतुल मालू, सहित विमला बुआ के लगभग सात आठ परिजन मौजूद थे। इसी बीच सभी एक दूसरे को फोन पर संदेशों का आदान-प्रदान करते रहे। इसी बीच जिला काँग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष मो.असलम भी अस्पताल पहुँच गये।

जिला चिकित्सालय की गहन चिकित्सा ईकाई में डॉ.बांद्रे के द्वारा विमला वर्मा का परीक्षण किया जा रहा था। वहीं, यह भी बताया गया कि डॉ.सलिल त्रिवेदी, डॉ.सौरभ जठार, डॉ.दीपक अग्निहोत्री शहर से बाहर थे। जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना ने बताया कि उन्होंने डॉ.दीपक अग्निहोत्री से डॉ.बांद्रे का नंबर लेकर उन्हें फोन किया पर डॉ.बांद्रे ने फोन नहीं उठाया। उनके द्वारा अस्पताल के आरएमओ डॉ.पी. सूर्या को फोन करके जानकारी दी गयी। डॉ.सूर्या ने जब डॉ.बांद्रे को फोन किया तब कहीं जाकर डॉ.बांद्रे ने फोन उठाया और वे अस्पताल पहुँचे। इससे पता चलता है कि जब जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को भी आरएमओ के माध्यम से डॉक्टर को बुलाना पड़ रहा हो तो अस्पताल की व्यवस्थाएं किस स्तर पर पहुँच चुकी हैं।

बहरहाल, डॉ.बांद्रे के द्वारा लगभग आधे घण्टे तक अनेक तरह के प्रयास किये जाते रहे, अंत में उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये। यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि सुश्री विमला वर्मा के द्वारा जिला जिला चिकित्सालय की स्थापना में सबसे महती भूमिका निभायी गयी थी और उन्हीं विमला वर्मा जी को उसी अस्पताल में किसी भी तरह की चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पायीं!

अस्पताल की इस छः बिस्तर वाली गहन चिकित्सा ईकाई में इसके पहले तत्कालीन विधान सभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर ने देह त्यागी थी। इसके बाद उपचार न मिल पाने के चलते बीते फरवरी माह में जिला काँग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जकी अनवर खान का निधन हुआ था। इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से समय सीमा में जाँच के निर्देश भी जिला प्रशासन को दिये जाने के बाद भी, अब तक इस मामले में क्या हुआ, शायद ही कोई जानता हो। जिस छः बिस्तर वाले आईसीयू में आठ-आठ घण्टे के तीन चिकित्सक पृथक से उपलब्ध नहीं हैं, उसी अस्पताल में अब ढाई करोड़ रूपये पानी में बहाने का ताना-बाना बुना जा रहा है। इसमें 20 बिस्तर वाला आईसीयू भी प्रस्तावित है। यक्ष प्रश्न यही है कि जब 06 बिस्तर वाले अस्पताल को ही नहीं सम्हाला जा सक रहा है तब 20 बिस्तर वाले आईसीयू का क्या औचित्य!

इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जिस आयरन लेडी ने सिवनी के नागरिकों के लिये 1977 में ही एक विशालकाय जिला चिकित्सालय भवन बनाने में महती भूमिका निभायी हो उसी आयरन लेडी सुश्री विमला वर्मा के निधन के बाद उनके परिजनों को ही उनके पार्थिव देह को स्ट्रेचर पर रखकर उसे खुद ही खींचना पड़ा हो। इसके अलावा उनकी पार्थिव देह को जिला अस्पताल से उनके निवास तक ले जाने के लिये सरकारी एंबुलेंस तक नसीब न हो पायी। यह तो भला हो बंटी मिश्रा का जिनकी एंबुलेंस में विमला वर्मा को उनके निवास से अस्पताल तक ले जाया गया और उसके बाद उनकी पार्थिव देह को उन्हीं की एंबुलेंस में वापस घर ले जाया गया।

निश्चित तौर पर यह गंभीर अनियिमितता की श्रेणी में आता है। सुश्री विमला वर्मा किसी की बेटी, किसी की बहन, किसी की मौसी, किसी की बुआ हो सकती हैं, पर वे लंबे समय तक प्रदेश और केंद्र में मंत्री भी रहीं हैं। उनके द्वारा सिवनी को अनगिनत सौगातें दी गयी हैं, इस लिहाज़ से वे सिवनी के हर नागरिक की प्रेरणा स्त्रोत भी थीं।

अभी हाल ही में सीआरपीएफ की एक महिला कॉन्स्टेबल शोभाश्री को इसी अस्पताल में उपचार न मिलने के चलते बवाल भी कटा था। इसके बाद जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा अस्पताल प्रशासन की मश्कें कसने का प्रयास किया गया था। जिला कलेक्टर के द्वारा आधा दर्जन से ज्यादा बार अस्पताल का निरीक्षण भी किया गया। इसके बाद भी ब्रहस्पतिवार और शुक्रवार की रात जो घटनाक्रम हुआ वह इस बात के लिये शोध का विषय माना जा सकता है कि इतने प्रयासों के बाद भी व्यवस्थाएं जस की तस ही हैं।

हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सुश्री विमला वर्मा के द्वारा सिवनी की झोली में अनेकों सौगातें डाली गयी हैं। ये सौगातें दूरंदेशी (इसका जिक्र बाद में करेंगे) भरी थीं, इसका लाभ सालों बाद सिवनी की जनता आसानी से ले रही है वरन यह कहें कि बेहतर तरीके से ले सकती थी, किन्तु उनके सक्रिय राजनीति से किनारा करने के बाद उनका स्थान लेने आये हुक्मरानों ने इन सौगातों को सहेजकर रखने में भी लापरवाही ही की है . . .! बीति रात के घटनाक्रम से सिवनी का हर वाशिंदा शर्मिंदा है बुआ जी . . .!

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.