महिला अधिकारी से यह क्या बोल गये डॉ.धर्डे!

 

 

जमानत पर चल रहे डॉ.धर्डे पर कार्यवाही से कतरा रहा प्रशासन!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। महिला कर्मचारी के द्वारा की गयी शिकायत के बाद जमानत पर चल रहे प्रभारी जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी डॉ.मधुसूदन धर्डे का शनि भारी ही दिख रहा है। एक के बाद एक विवाद में फंसने के बाद भी डॉ.धर्डे के आचरण में सुधार परिलक्षित नहीं हो रहा है।

सीएमएचओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पूर्व में एक महिला कर्मचारी को कथित तौर पर प्रेम पत्र लिखने के बाद महिला के द्वारा पुलिस में की गयी शिकायत के बाद डॉ.एम.एस. धर्डे इस समय जमानत पर चल रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि इसके उपरांत बीते दिनों लखनादौन में सर्पदंश से हुई मौत की जाँच के लिये गये सीएमएचओ डॉ.के.सी. मेश्राम के साथ जाँच के लिये गये डॉ.धर्डे अस्पताल में ही डॉ.जे.पी.एस. परतेती के निवास पर जा पहुँचे और उसके बाद मारपीट का घटनाक्रम हुआ। अब तो लोग डॉ.धर्डे को सीएमएचओ के बाउंसर की संज्ञा भी देने लगे हैं।

इधर, सोमवार को एक बार फिर प्रभारी डीएचओ डॉ.धर्डे उस समय चर्चाओं में आ गये जब उनके द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरघाट में समीक्षा बैठक के दौरान बीएमओ डॉ.श्रीमति यू.श्रीपाण्डे एवं खण्ड विस्तार प्रशिक्षक श्रीमति रंजना पाण्डे को यह कहकर दूर बैठने को कहा कि उनके (महिला अधिकारियों के) पास बैठने से करंट लगता है।

बीएमओ डॉ.श्रीमति श्रीपाण्डे के द्वारा सीएमएचओ, कलेक्टर आदि को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि समस्त कर्मचारियों के सामने वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा इस तरह की टिप्पणी अमर्यादित आचरण की श्रेणी में आता है। ज्ञापन में कहा गया है कि डॉ.धर्डे के द्वारा बेहरई के चिकित्सा अधिकारी डॉ.एस.एस. काकोडिया को भी यह कहकर दूर बैठने की हिदायत दी गयी कि वे डीएचओ नंबर 01 हैं, उनकी चेयर के पास कोई नहीं बैठेगा।

ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि सभी कर्मचारियों के सामने प्रभारी डीएचओ (जो कि प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी का पद है और डॉ.धर्डे द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी हैं) डॉ.धर्डे के द्वारा महिला बीएमओ को यह कहकर भी अपमानित किया गया कि वे (महिला बीएमओ) कहाँ तक पढ़ीं हैं, उन्हें किसने डॉक्टर बना दिया! वे (महिला बीएमओ) इस पद के लायक नहीं हैं। उनका (डॉ.धर्डे का) बस चलता तो बीएमओ को पीएचसी में बैठा दिया जाता।

ज्ञापन में कहा गया है कि डीएचओ डॉ.धर्डे के द्वारा महिला अधिकारियों के साथ इस तरह अपमान जनक व्यवहार को देखते हुए वहाँ उपस्थित एल.डी. राहंगडाले के द्वारा डॉ.धर्डे को रोका गया तो डॉ.धर्डे के द्वारा श्री राहंगडाले को गाली गलौच करते हुए चुप बैठने की नसीहत दे दी गयी।

कलेक्टर की धमकी : ज्ञापन में यह भी कहा गया कि कि उन्होंने कर्मचारियों को लगभग हड़काते हुए यह तक कह डाला कि अगर कोई नेतागिरी करेगा तो उसे कलेक्टर से कहकर निलंबित करवा दिया जायेगा। कर्मचारियों के द्वारा बताया गया कि डॉ.धर्डे के द्वारा यह भी कहकर कर्मचारियों को डराने का प्रयास किया गया कि उनकी (डॉ.धर्डे की) कोई बात कलेक्टर नहीं काटते हैं, इसलिये अगर किसी ने ज्यादा चीख पुकार की तो उसके परिणाम भुगतने के लिये भी तैयार रहे।

ज्ञापन के अनुसार इसके बाद बैठक में उपस्थित सभी कर्मचारी एवं अधिकारी बैठक का बहिष्कार करते हुए वहाँ से बाहर आ गये। ज्ञापन में प्रभारी जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी डॉ.एम.एस. धर्डे के इस तरह के व्यवहार पर उचित कार्यवाही की अपेक्षा व्यक्त की गयी है।

इसके उपरांत बरघाट के लगभग डेढ़ सौ आक्रोशित पुरूष और महिला कर्मचारी जिला मुख्यालय पहुँचे और उनके द्वारा डॉ.धर्डे हाय हाय के नारे लगाते हुए ज्ञापन को सीएमएचओ डॉ.के.सी. मेश्राम सहित कलेक्टर कार्यालय में सौंप दिया।

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