मिलावटी दूध को बता चुकी है सही
(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। मिलावटी व नकली दूध से भोपाल सहकारी दुग्ध संघ अछूता नहीं रहा है। यहां की लैब में होने वाली जांच रिपोर्ट तो पूर्व में पानी मिले व मिलावटी दूध को सही बता चुकी है। बीते साल ही यह स्थिति बनी थी। जब भी प्रदेश में मिलावटी और नकली दूध का मामला सामने आता है तब सांची दूध खरीदने वाले कुछ उपभोक्ताओं को संघ की लैब में होने वाली जांच पर संदेह होने लगता है। प्रदेश में मिलावटी व नकली दूध का मामला सामने आने के बाद इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
संघ की लैब रिपोर्ट को लेकर यह चर्चा आम हो चुकी है कि जिन टैंकरों से कुछ अफसरों को फायदा नहीं मिलता, उस टैंकर में होने वाली गड़बड़ी, मिलावट को लैब पकड़ लेती है। 25 मार्च 2018 को एक मामला ऐसा सामने आ चुका है। असल में भोपाल सहकारी दुग्ध संघ का सलकनपुर के पास मालीवाया शीत केंद्र है। यहां से टैंकर क्रमांक एमपी 04 जीबी 2214 भोपाल के लिए 23 व 24 मार्च 2018 की रात 10 हजार लीटर दूध लेकर चला था। इस दूध के नमूने लेकर जांच की गई। इसमें पता चला कि दूध में मिलावट है।
इसे उपयोग में नहीं लाया जा सकता। इसके बाद दूध को नष्ट कराना पड़ा था। इसका मतलब संघ के शीत केंद्रों में मिलावट होती है। सूत्रों की मानें तो लैब के कुछ अधिकारी फायदा नहीं मिलने पर ऐसे दूध को पकड़ लेते हैं, लेकिन सांठगांठ के तहत जिन टैंकरों से फायदा मिलता है उसकी रिपोर्ट सही बता दी जाती है।
लैब से 15 ठेका श्रमिकों को हटाया
प्रदेश में मिलावटी व नकली दूध का मामला सामने आने के बाद भोपाल दुग्ध संघ की लैब में काम करने वाले 15 ठेका श्रमिकों को हटा दिया गया है। इनसे प्लांट में दूसरी जगह सेवाएं ली जा रही हैं। ये सालों से लैब में जमे थे। जबकि लैब के स्थाई कर्मचारियों से अधिकारी दूसरी जगह काम करा रहे थे। इनमें से कई तो ऐसे थे जिनके पास लैब में काम करने की डिग्रियां ही नहीं थीं। फिर भी ये 10 साल से जमे हुए थे। खास बात यह है कि इनका वेतन 7 से 12 हजार रुपए है फिर भी इनमें से कई चार पहिया गाड़ी मेंटेन करते हैं। अब लैब में सालों से जमे संघ के कुछ नियमित अधिकारियों की बारी है।
लैब की जांच रिपोर्ट पर इसलिए संदेह
12 जून को भोपाल दूध संघ का टैंकर एमपी 09 एचजी 2962 राजगढ़ से 20 हजार लीटर दूध लेकर भोपाल के लिए निकला था। जिसे कुरावर-गांधीनगर के रास्ते भोपाल दुग्ध संघ पहुंचना था। टैंकर रात 12 बजे श्यामपुर से सीहोर होते हुए हीरापुर के पास फार्म हाउस पर पहुंच गया था। यहां टैंकर से दूध निकाला गया और मोटर पंप से पानी मिलाया गया। घटना का वीडियो वायरल हुआ था। इस टैंकर को पुलिस के सुपुर्द किया गया। फिर भोपाल संघ लाया गया। यहां दूध की जांच कराई गई, जिसमें दूध की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं मिला था।
यह बात संघ के तत्कालीन सीईओ के कहने पर महाप्रबंधक संयंत्र पीके शर्मा ने बताई थी। टैंकर में 20 हजार लीटर दूध था। नवदुनिया ने पूरे मामले का खुलासा किया था इसके बाद सरकार ने एक दर्जन अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की थी। टैंकर संचालक को ब्लैक लिस्ट किया था। ड्राइवर, कंडक्टर पर सीहोर में एफआईआर दर्ज हुई थी।
नरसिंहगढ़ तहसील की एक दूध खरीदी करने वाली सहकारी समिति के संचालक के घर से तहसीलदार ने सैंपू समेत कई तरह की अमानक सामग्री पकड़ी थी। यह कार्रवाई बीते साल की गई थी। इस सामग्री से वह नकली दूध तैयार करता था। बाद में यही दूध भोपाल दुग्ध संघ में सप्लाई करता था।
इसके बावजूद संघ की लैब की जांच रिपोर्ट में मिलावट पकड़ में नहीं आ रही थी। इतना ही नहीं, साल 2016 में भोपाल दुग्ध संघ में एक टैंकर पकड़ा गया था, जिसके अंदर अलग से चैंबर बना हुआ था। इस चैंबर में दूध के नाम पर हजारों लीटर पानी बेचा जा रहा था। तब भी लैब जांच में कुछ नहीं मिला था।

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