सर्पदंश के मामले में भी एडवाईज़री जारी की जानी चाहिये

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं स्वास्थ्य विभाग एवं कृषि जैसे विभागों से अपील करना चाहता हूँ कि उसके द्वारा बारिश के इन दिनों में ऐहतियात बरतने के लिये सर्पदंश को भी प्रमुख स्थान दिया जाये।

बारिश के दिनों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां तेजी से पैर पसारतीं हैं जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग साल में एकाध दो बार एडवाईज़री जारी करके अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। हालांकि मात्र एडवाईज़री जारी करने से ज्यादा कुछ होता नहीं है फिर भी ज्यादातर लोग सचेत तो हो ही जाते हैं। एडवाईज़री जारी करने के बाद स्वास्थ्य विभाग को चाहिये कि उसके द्वारा भी उस संबंध में आवश्यक कदम उठाये जायें।

इसी तरह कृषि विभाग भी खेती के लिये एडवाईज़री जारी करता है लेकिन परिस्थितियों के हिसाब से उसके द्वारा कृषकों को यदि समय-समय पर आगे भी सलाह दी जाती रहे तो नतीजे काफी अच्छे मिल सकते हैं लेकिन कृषि विभाग भी ऐसा कुछ करता नहीं दिखता है। इन दिनों बारिश का रूख आम लोगों की समझ से परे ही है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव कृषकों के ऊपर पड़ता है।

मॉनसून के आगमन के उपरांत उसके लंबे समय तक रूठ जाने के कारण सिवनी जिले का किसान परेशान हो गया और कई लोगों की फसल की आस टूट ही चुकी है। ऐसे में जो सक्षम किसान हैं वे मॉनसून के फिर से प्रभावी होने का फायदा तो उठा लेंगे लेकिन जो किसान एक बार बोवनी करने के बाद, अवर्षा के कारण फसल लेने से वंचित रह गया, ऐसे किसानों के पास फिर से दोबारा बोवनी करने का कोई विकल्प ही नहीं रह गया है। कृषि विभाग यदि मौसम विभाग से तालमेल बैठाकर सिवनी जिले के कृषकों को आगाह कर देता कि अमुक समय में बारिश की अच्छी स्थिति रहेगी तो संभव था कि गरीब किसान बोवनी करने के लिये इंतजार करना बेहतर समझता लेकिन कृषि विभाग की बेरूखी के कारण ऐसा हो नहीं सका।

बहरहाल, स्वास्थ्य और कृषि जैसे विभागों को सर्पदंश को भी प्रमुखता से लिया जाना चाहिये। बारिश के इन दिनों में बीमारियां तो फैलती ही हैं लेकिन सर्पदंश की घटनाओं में भी बढ़ौत्तरी होती है और ये घटनाएं ऐसी होती हैं जिनमें कई पीड़ितों को तो समय पर उपचार भी नहीं मिल पाता है और वे असमय ही दम तोड़ देते हैं। एडवाईज़री के माध्यम से यह जानकारी दी जाना चाहिये कि सर्पदंश की घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है और यदि कोई सर्पदंश से पीड़ित हो ही गया है तो उसे आवश्यक उपचार मुहैया होने के पहले तत्काल में प्राथमिक रूप से क्या-क्या करना चाहिये।

इस तरह की सलाह के अभाव में कई लोग झाड़फूंक का सहारा लेने लगते हैं जो मानव जीवन के लिये इस तरह सर्पदंश की घटनाओं में अक्सर घातक ही साबित होता आया है। इस संबंध में आवश्यकता हो तो वन विभाग की भी सहायता ली जाना चाहिये। ये विभाग यदि मिलकर काम करेंगे तो संभव है कि सर्पदंश की घटनाओं में कमी भी आ जाये और साथ ही सर्पदंश के कारण होने वाली मौतों पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

अनिल आत्मपूज्य

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