सिवनी शहर ही नहीं बल्कि इस जिले में जहाँ भी जाया जाये वहाँ खुले में शराब पीते हुए लोगों को सहज ही देखा जा सकता है। इससे बाजारू क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं, जिसे गंभीर विषय माना जा सकता है लेकिन जिला प्रशासन की इस मामले में अनदेखी आश्चर्यजनक है और इसीलिये मुझे शिकायत जिला प्रशासन से ही है।
मदिरा प्रेमियों के द्वारा बारिश के इन दिनों में भी भीगते हुए तरबतर अवस्था में खुलेआम बीच बाज़ार में मदिरापान किया जा रहा है और उन्हें रोकने वाला कोई दिखायी नहीं दे रहा है। इस तरह से मदिरापान किये जाने के कारण छोटे-छोटे बच्चों के साथ ही साथ महिलाओं में भी उस क्षेत्र से गुजरते समय दहशत कायम हो जाती है।
सिवनी में पिछले लगभग दो सालों में खुलेआम शराब पीने का तो जैसे चलन बन गया है। पिछले एक साल में इस तरह की गतिविधियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। मदिरा प्रेमियों को खुले में मदिरा का सेवन करते हुए देखकर ऐसा लगता है कि अब पुलिस का खौफ भी इन लोगों के मन में नहीं रह गया है। आबकारी विभाग का तो कहीं अता-पता ही नहीं है।
लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि आखिर खुलेआम मदिरापान करने जैसी गतिविधियों पर कौन सा विभाग लगाम लगायेगा। गौर करने वाली बात यह है कि शहरी क्षेत्र में भी चार पहिया वाहन के शीशे चढ़ाकर उसके अंदर लोग मदिरा का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं। इनके वाहनों में लगे गहरे रंग के शीशे, इनके लिये पर्दे का काम करते हैं। यह बात आम लोगों को पता थी लेकिन आश्चर्य जनक रूप से शायद पुलिस इस बात को नहीं भांप सकी और आबकारी विभाग को तो एक लंबे समय से मैदान में लोगों के द्वारा कभी देखा ही नहीं गया है।
आबकारी के साथ ही साथ पुलिस प्रशासन की अनदेखी के चलते चार पहिया वाहन में जब लोगों को लगा कि कोई दिक्कत नहीं है तो उन्होंने अब खुलेआम शराब पीना आरंभ कर दिया है। कई मर्तबा ऐसे शराबियों के समीप से पुलिस कर्मियों को भी गुजरते हुए देखा जा सकता है और यह भी देखा जा सकता है कि उन पुलिस कर्मियों के द्वारा भी कोई कार्यवाही करने का प्रयास तक नहीं किया जाता है ताकि ऐसे लोगों में कानून का खौफ कायम रह सके।
पुलिस और आबकारी जैसे विभागों को शायद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जहाँ-जहाँ भी खुलेआम शराबखोरी हो रही होती है वहाँ से महिलाओं और बच्चों को निकलने में डर लगता है अथवा नहीं। ऐसे विभागों को शायद नहीं मालूम कि ऐसे बेखौफ दबंग शराबियों के रास्ते से सिर्फ महिला और बच्चे ही नहीं बल्कि कई सभ्य पुरूष भी गुजरने से बचना चाहते हैं।
सवाल यह उठता है कि जब सिवनी में अहाते बंद कर दिये गये हैं तब उसके बाद भी क्या यह आवश्यकता रह जाती है कि संबंधित विभागों के द्वारा यह देखा जाये कि कहीं कोई सरेआम मदिरापान तो नहीं कर रहा है अथवा इसके लिये भी किसी को शिकायत करना होगी? जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह स्व संज्ञान से कोई ऐसी पहल करे जिसके कारण सभ्य समाज इन मदिराप्रेमियों के रास्ते से गुजरने को बाध्य न हो सके।
इरफान खान

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