अस्पताल प्रशासन की गंभीर चूक को नज़र अंदाज कर रही पुलिस!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। भले ही जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा जिला अस्पताल पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया हुआ हो पर अस्पताल में हालात सुधरने की बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं। सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात अस्पताल से गायब हुई नाबालिग बालिका प्रकरण ने अनेक सवाल अनुत्तरित छोड़ दिये हैं।
जिला अस्पताल के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बीति रात आईसोलेशन वार्ड में भर्त्ती एक मरीज़ की नाबालिग बेटी को मोबाईल पर बात करने पर उसकी माँ के द्वारा डांटे जाने के बाद देर रात बालिका अस्पताल से गायब हो गयी थी।
सूत्रों ने बताया कि रात में ही ड्यूटी डॉक्टर के द्वारा कोतवाली पुलिस को फोन करके इस बात की जानकारी दे दी गयी थी। इसके अलावा रात में ही नाबालिग बालिका के मामा के द्वारा कोतवाली जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी भी दी गयी थी। मंगलवार को कोतवाली पुलिस के द्वारा अस्पताल के सीसीटीवी खंगाले गये थे।
इधर, कोतवाली पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस मामले में कोतवाली पुलिस के द्वारा शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया था। इसके बाद यह पता चला था कि बालिका लगभग एक बजे रात में एक एंबूलेंस के जरिये बस स्टैण्ड गयी और वहाँ से खैरावाली बस में बैठकर नागपुर की ओर रवाना हो गयी थी।
सूत्रों ने बताया कि नाबालिग बालिका के मामा और कोतवाली पुलिस ने इसके बाद नागपुर की ओर दौड़ लगायी। नागपुर में गायब बालिका को सकुशल लेकर पुलिस सिवनी आ गयी। बालिका ने पुलिस को बताया कि वह अपनी मर्जी से ही अस्पताल से गयी थी। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद पुलिस के द्वारा मामले में आगे तफ्तीश बंद कर दी गयी।
सूत्रों ने बताया कि अस्पताल की सुरक्षा की जवाबदेही निजि कंपनी के हवाले है और इस कंपनी को हर माह लाखों रूपयों का भुगतान भी किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ रात के समय अस्पताल के प्रवेश द्वार भी बंद रहते हैं, क्योंकि जिलाधिकारी के निर्देश पर 01 अगस्त से पास सिस्टम भी कड़ाई से लागू किया गया है।
सूत्रों की मानें तो इसके बाद भी रात को एक बजे नाबालिग के द्वारा किससे बात की गयी? उससे मिलने कौन आया? जो मिलने आया वह अस्पताल के अंदर कैसे पहुँच गया, क्योंकि अस्पताल भवन के सारे कॉरीडोर लोहे की जालियों से बंद रहते हैं! क्या सुरक्षा कर्मियों के द्वारा बिना प्रवेश पत्र देखे ही उसे प्रवेश दिया गया? जैसे प्रश्न अभी भी अनुत्तरित ही हैं!
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा इन बातों के जवाब भी हवा में ही हैं कि रात 11 बजे जब सारा शहर शांत हो जाता है, लोग अपने-अपने घरों में होते हैं तब एक नाबालिग बालिका अकेले एक एंबुलेंस से मदद लेकर जाती है, उसके बाद यात्री बस में बैठकर नागपुर की ओर रवाना हो जाती है और एंबुलेंस चालक या बस के चालक परिचालक के द्वारा उससे किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाती है!

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