सीबीएसई की गाईड लाईन का पालन कौन करायेगा सुनिश्चित!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने और सीबीएसई पेटर्न के नाम पर पालकों को ठगने वाले निजि स्कूलों में सीबीएसई के द्वारा निर्धारित की गयी गाईड लाईन का पालन सुनिश्चित नहीं करवाया जा पा रहा है। कमोबेश हर शाला में नौनिहालों के कंधे भारी भरकम स्कूल बैग के कारण झुकते नज़र आ रहे हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नियमों के हिसाब से स्कूल बैग का जितना वजन होना चाहिये उससे कहीं ज्यादा बोझ रोज ही विद्यार्थी उठा रहे हैं। अगर विद्यार्थी का वजन 15 किलो है तो उसके बस्ते का वजन 06 किलो से ज्यादा ही नज़र आता है।
इस मामले में अभिभावकों में भी अभी तक जागरूकता नहीं आ पायी है, कि इस बोझ को ढोते – ढोते उनके कलेजे के टुकड़ों पर क्या बीत रही होगी। पहली से पाँचवी तक के विद्यार्थियों के भारी भरकम बस्ते को देखकर लगता है कि शाला संचालकों को भी विद्यार्थियों की सेहत से ज्यादा सरोकार नहीं है।
उक्त संबंध में सूत्रों ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने स्कूल बैग के वजन को लेकर 2016 – 17 में स्पष्ट गाईड लाईन जारी की थी। इसमें सीबीएसई के द्वारा कक्षा के हिसाब से स्कूल बैग का वजन तय किया गया था। इसमें लॉकर सुविधा की भी बात कही गयी।
सूत्रों ने बताया कि स्कूल बैग के वजन को राईट टू एजुकेशन एक्ट में जोड़ने के लिये नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाईल्ड राईट्स (एनसीपीसीआर) ने अनुशंसा की है। एनसीपीसीआर ने एक रिपोर्ट तैयार की है कि किस कक्षा के बच्चे के बैग का कितना वजन होगा।
वहीं चिकित्सकों के अनुसार भारी भरकम बोझ वाले बस्ते विद्यार्थियों की शारीरिक संरचना को असंतुलित कर सकते हैं। विद्यार्थियों को गर्दन के आसपास दर्द की शिकायत भी हो सकती है, इसका कारण यह है कि लगातार बोझ और दबाव के कारण स्नायु तंत्र और माँस पेशियों में खिचाव उत्पन्न हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि सीबीएसई के निदेर्शों के तहत स्कूल बैग का जो वजन निर्धारित किया गया है उसके अनुसार पहली से दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों का बस्ता दो किलो, तीसरी से चौथी कक्षा के विद्यार्थियों का बस्ता तीन किलो और पाँचवी से आठवीं तक के विद्यार्थियों का बस्ता चार किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिये।
इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि सीबीएसई के द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशों को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की नस्तियों के हवाले कर दिया जाता है। किसी को भी इस बात की परवाह नहीं रहती है कि इन दिशा निर्देशों को नस्तीबद्ध करने के साथ ही साथ इनका पालन भी सुनिश्चित करवाना है।
सूत्रों ने आगे बताया कि सीबीएसई के द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों को प्राप्त करने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा संबंधित शालाओं को इन दिशा निर्देशों को भेजकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। सूत्रों ने कहा कि आज तक जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा कभी भी सड़कों पर उतरकर इन दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं करवाया गया है।
संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा की जा रही है कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे शाला संचालकों के खिलाफ एक मुहिम चलवायी जाये और जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया जाये कि वे भी विद्यार्थियों के हित में जारी इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करवायें।

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