(शरद खरे)
सिवनी शहर के आसपास पॉलीथिन के जंगल दिखायी दे रहे हैं। जिला मुख्यालय के आसपास जहाँ कचरा फेंका जा रहा है वहाँ से ये पॉलीथिन उड़-उड़ कर पेड़ों पर झूलते नज़र आते हैं। शहर के अंदर भी पॉलीथिन जहाँ तहाँ बिखरी पड़ी दिख जाती है। पॉलीथिन के इस तरह अत्याधिक उपयोग के कारण यह स्थान-स्थान पर फैली रहती है एवं मवेशियों का निवाला बनती जाती है।
यह सही है कि सिवनी में जो पॉलीथिन बेची जा रही है वह चालीस माईक्रॉन से काफी कम की होती है। यह पॉलीथिन मानव उपयोग के लिये जहर से कम नहीं है। पर्यावरणविदों के द्वारा इस तरह की पॉलीथिन के खतरों से लोगों को आगाह कराया जाता रहा है। विडंबना ही कही जायेगी कि इस मामले में सिवनी में जागृति नहीं फैल सकी है। सिवनी में व्यापारियों के द्वारा इस तरह कम मानक वाली पॉलीथिन को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
यह माना जा सकता है कि लोगों में कम माईक्रॉन की पॉलीथिन के उपयोग के खतरों के बारे में कम मालुमात हों, किन्तु प्रशासनिक अधिकारियों या स्थानीय निकाय में इस तरह के निर्देश न आये हों, यह बात गले नहीं उतरती है। वैसे तो जब किसी को किसी चीज की अनुमति लेना होता है तब नगर पालिका द्वारा तरह तरह के आदेशों का हवाला देकर काम में अड़ंगे लगाने का कुत्सित प्रयास किया जाता है पर जब मामला पर्यावरण और मवेशियों को बचाने का आता है तो मानो पालिका को सांप सूंघ जाता है। इस तरह के पॉलीथिन मवेशियों के लिये बीमारी और मौत का कारक बन रहे हैं।
पता नहीं क्यों, नगर पालिका परिषद को कम माईक्रॉन की पॉलीथिन पर रोक लगाने में पसीना आता है। पालिका के पास पर्याप्त अमला है, सारे अधिकार हैं फिर भी पालिका इस दिशा में पहल नहीं करती है। लगता है पालिका अब अपने अधिकार और कर्त्तव्यों को भूलकर नयी इबारत लिखकर उसे ही अपने अधिकार, कर्त्तव्य मानने लगी है। पालिका के कर्णधार मुख्य नगर पालिका अधिकारी तो सरकारी नुमाईंदे हैं, उन्हें तो कम से कम इस बात का इल्म होना चाहिये।
आज जरूरत इस बात की है कि सिवनी को पॉलीथिन मुक्त कैसे बनाया जाये इस बारे में विचार अवश्य किया जाये। सिवनी में निर्धारित मानक से कम मानक की पॉलीथिन का विक्रय पूरी तरह प्रतिबंधित किये जाने की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसके लिये नागरिकों को भी जागरूक करना होगा और स्थानीय निकाय को भी कड़े कदम उठाने की जरूरत महसूस हो रही है।
सोशल मीडिया पर इस तरह के संदेश आम हैं। इन संदेशों से जागरूकता फैल तो रही होगी किन्तु सरकारी प्रयासों के न होने के कारण शहर में पॉलीथिन सड़कों पर उड़ती नज़र आती है। कचरा गाड़ी जहाँ भी कचरा ले जाकर फेक रही है उस स्थान का ही अगर निरीक्षण कर लिया जाये तो वहाँ भारी मात्रा में पॉलीथिन देखी जा सकती है।
संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि कम से कम वे ही जिले में निर्धारित से कम माईक्रॉन की पॉलीथिन के विक्रय पर रोक लगवायें। वैसे कुछ साल पहले कोमल जायसवाल ने सिवनी को पॉलीथिन मुक्त बनाने की एक बेहतरीन पहल आरंभ की थी, पर वह प्रयास भी परवान नहीं चढ़ पाया।

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