ब्राह्मणों का मुख्य पर्व श्रावणी 15 को

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। श्रावण पूर्णिमा पर श्रावणी पर्व 15 अगस्त को बैनगंगा के पावन तट लखनवाड़ा घाट में प्रातः 10 बजे मनाया जायेगा।

विगत वर्षों से यह पर्व मातृधाम प्रभारी रहे पं. गौरी शंकर तिवारी सहित अन्य विद्वानों द्वारा बैनगंगा तट पर अनेक ब्राह्मणों के साथ वैदिक विधि विधान से मनाया जाता रहा है और इस वर्ष भी श्रावणी के इस महापर्व में वेदपाठी ब्राह्मणों सहित अन्य आचार्य, विद्वान् एवं अनेक ब्राह्मणजन उपस्थित रहेंगे। सप्तऋषि पूजन के साथ पं. गौरी शंकर तिवारी का भी पावन स्मरण इस अवसर पर किया जायेगा।

श्रावण शुक्लपक्ष पूर्णिमा ही उपाकर्म का प्रसिद्ध काल माना जाता है। उपाकर्म को श्रावणी भी कहा जाता है। श्रावणी विशेषकर ब्राह्मणों अथवा पण्डितों का पर्व है। वेद पारायण के शुुभारम्भ को उपाकर्म कहते हैं। इस दिन यज्ञोपवीत के पूजन का भी विधान है। ऋषि पूजन व पुराना यज्ञोपवीत उतार कर नया धारण करना इस दिन की श्रेष्ठता है। प्राचीन समय में यह कर्म गुरु अपने शिष्यों के साथ किया करते थे। यह उत्सव द्विजों के वेदाध्ययन का और आश्रमों के उस पवित्र जीवन का स्मारक है। अतः इसकी रक्षा ही नहीं, किन्तु इसका यथार्थरूप में मानना हमारा परम धर्म होना चाहिए।

उक्ताशय की जानकारी देते हुये धर्मवीर अजित तिवारी देते हुये बताया कि सर्वप्रथम श्रावण पूर्णिमा श्रावणी पर्व में को घर मे स्नान, संध्यावंदन, नित्यकर्म आदि करके श्रावणी कर्म करने के लिए गंगा आदि किसी तीर्थ या नदी पर जाकर पंचगव्य प्राशन व पवित्री धारण कर तीर्थ प्रार्थना कर हेमाद्रिसंकल्प लेकर भस्म, गोमय इत्यादि स्नान, मार्जन किया जाता है।

इसके पश्चात अत्यंत पवित्र होकर सप्तऋषियों का पूजन, यज्ञोपवीत पूजन किया जाता है। इसके पश्चात पुराने यज्ञोपवीत को बदलकर नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। श्री तिवारी ने सभी ब्राह्मणों से अधिक से अधिक से संख्या में श्रावणी पर्व में सम्मिलित होने का विशेष अनुरोध किया है।

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