धरती का श्रंृगार करें सकारात्मक सोच के साथ : चंदेल

 

(अपराध ब्यूरो)

सिवनी (साई)। पंच तत्व से मिलकर इस धरा का निर्माण हुआ है और धरा की सुंदरता या श्रृंगार हम वृक्ष लगाकर कर सकते है पृथ्वी हमें रहने के लिए जीवन देती है और इसी धरती से गमन करके हम अपने आपको परलोक की यात्रा भी करा सकते है। लेकिन इसके लिए नकारात्मक सोच नही बल्कि सकारात्मक सोच की आवश्यकता होती है।

उक्त उदगार कन्या महाविद्यालय में आयोजित धरती के श्रृंगार विषय पर आयोजित स्लोगन प्रतियोगिता के अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना चंदेल ने व्यक्त किये।

इस अवसर पर डॉ. एस. आर. नावंगे ने कहा कि विज्ञान संकाय के विद्यार्थी अच्छी तरह से जानते है कि प्रकृति में प्रतिक्षण परिवर्तन होते है और प्रकृति अगर हमसे रूठ जाये तो बड़े-बडे तूफान,आंधी तथा ज्वालामुखी जैसी स्थिति निर्मित होती है। आज विद्यार्थियों को आवश्यकता है कि वह धरती का श्रृंगार करें। और प्रकृति ने हमे जो वरदान दिया है उसे समझें।

श्रीमति समिता शर्मा ने कहा कि ग्रामीण अंचलों में रहने वाली छात्राऐं जानती है कि मौसम के अनुसार प्रकृति में परिवर्तन आता है लेकिन प्रकृत्ति के साथ अगर हम छेड़छाड़ करेेंगे तो इसके परिणाम भी हमें भुगतना पड़ेगा। श्रीकांत नामदेव ने कहा कि अगर प्रकृति है तो मनुष्य का जीवन है और प्रकृति के बिना सब सूना है।

इस अवसर पर श्रीमति नीतू दुर्गे ने कहा कि भारत में हर जाति के लोग विभिन्न रूप में प्रकृति की पूजा करते है और उसका ही परिणाम है कि हमारी संस्कृति शेष बची हुई है। श्रीमति फिरदोस जहां ने कहा कि चाहे हम रोजा रखे या फिर प्रार्थना करें सभी प्रकृति के रूप है अगर हम धरती का श्रंगार करना चाहते है तो हम संकल्प लें कि हम वृक्ष लगायेंगे और वृक्षों को नही काटेंगे।

इस अवसर पर सुश्री आरती नाथ एवं सरीता राहंगडाले ने स्लोगन की प्रस्तुती दी। इसी तरह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण प्राचार्य डॉ. अर्चना चंदेल ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की ईकाई ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई।

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