सिवनी में यातायात की स्थिति बेहद निम्नतम स्तर पर पहुँच चुकी है। स्थिति यह है कि जिसका जहाँ मन हो रहा है वह उस दिशा में वाहन सहित प्रवेश करके यातायात को जमकर बाधित कर रहा है और सड़क से यातायात कर्मियों की मौजूदगी नदारद है।
शहर में जब ट्रैफिक सिग्नल्स आरंभ किये गये थे जो हालांकि थे तो दोषपूर्ण लेकिन लोगों को फिर भी उम्मीद बंधी थी कि अब शहर के चौक चौराहों पर यातायात को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। समय जैसे-जैसे बीतता गया वैसे-वैसे ये सभी सिग्नल्स भी बंद होते गये। आज की स्थिति में न तो यातायात के सिग्नल्स कोई संकेत दे रहे हैं और न ही चौक चौराहों पर खड़े यातायात कर्मी वाहन चालकों को सीटी बजाकर निर्देश देते नजर आ रहे हैं।
सिवनी में देखा जा रहा है कि यातायात को सम्हालने के लिये होमगार्ड के सैनिकों की सहायता ली जाती है जो सघन यातायात को सम्हालने में कतई दक्ष नहीं दिखायी देते हैं। ये सैनिक ड्रेस लगाकर चौक चौराहों पर एक तरफ मूक दर्शक बनकर खड़े हो जाते हैं और इससे ज्यादा इनकी कोई भूमिका वाहन चालकों को समझ में नहीं आती है।
इसका कारण शायद यही हो सकता है कि ये सैनिक यातायात को सम्हालने के लिये निपुण नहीं किये गये हैं जिसके लिये उन्हें प्रशिक्षण की सख्त आवश्यकता है। यदि किसी इंसान को नीला पैंट और सफेद शर्ट पहनाकर सिवनी के चौक पर यातायात कर्मी की ड्रेस में खड़ा कर दिया जाये तो वह कतई यातायात को नहीं सम्हाल पायेगा क्योंकि इसके लिये प्रशिक्षण की सख्त आवश्यकता होती है। सिवनी में लंबे समय से हो यही रहा है कि यातायात कर्मी की ड्रेस पहनाकर किसी भी सैनिक को मूक दर्शक बनाकर खड़ा कर दिया जाता है।
सिवनी में जेब्रा क्रॉसिंग भी लुप्त हो चुकी है। हालांकि जेब्रा क्रॉसिंग का महत्व ट्रैफिक सिग्नल चालू रहने की स्थिति में ज्यादा रहता है लेकिन आम समय में भी पैदल आवागमन करने वाले राहगीर इनका उपयोग कर सकते हैं। जेब्रा क्रॉसिंग जिस तरह से ओझल हो चुकी है उससे ऐसा लगता है कि इसका महत्व स्वयं यातायात विभाग को ही पता नहीं है। ऐसे में ये कैसे उम्मीद की जा सकती है कि इस विभाग में पदस्थ एक अदना सा कर्मचारी यातायात के नियमों से स्वयं ही भलीभांति परिचित होगा।
शहर की सड़कों से यातायात कर्मियों की अनुपस्थिति के लिये इस विभाग के द्वारा स्टाफ की कमी का गले न उतरने वाला रोना अक्सर गाया जाता है लेकिन जेब्रा क्रॉसिंग शहर से क्यों गायब हो गयीं इसका बहाना शायद यह विभाग न बता पाये। उच्चाधिकारियों से अपेक्षा ही की जा सकती है कि शहर में यातायात को व्यवस्थित करने की दिशा में गंभीरता के साथ प्रयास किये जायें ताकि नागरिकों को राहत मिल सके।
राहुल बर्मन

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