0 प्रशासन लिखवा रहा जिले का नया इतिहास . . . 12
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। जिले की सरकारी वेब साईट को मानो मजाक बनाकर रख दिया गया है। वन नेशन वन पोर्टल की अवधारणा के तहत प्रदेश के जिलों की सरकारी वेब साईट्स को नए स्वरूप में बनाकर ऑन एयर किया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों की वेब साईट की तुलना में जिले की वेब साईट बहुत प्रभावी नहीं दिख रही है।
इस वेब साईट में जिले के सामरिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों को ही स्थान नहीं दिया गया है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और दैनिक हिन्द गजट के द्वारा जैसे जैसे विसंगतियों को उजगर किया जा रहा है वैसे वैसे पोर्टल में सुधार तो किया जा रहा है पर यह सुधार पर्याप्त नहीं माना जा सकता है।
इस पोर्टल में एशिया के सबसे बड़े मेघनाथ मेले को स्थान न दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा। आदिवासी परंपरा से जुड़े इस मेले के बारे में अनेक किंवदंतियां भी हैं।
जिले में आदिवासी पंरपंरा से जुड़े कई स्थान हैं। पांजरा में साठ फीट का एक विशाल खंबा है। जिसे मेघनाथ कहा जाता है। मन्नत पूरी होने पर लोग इस खंबे में उलटा लटकते हैं। मेघनाथ की पंरपरा दूसरे जिलों में भी है लेकिन पंाजरा के इस मेघनाथ को एशिया का सबसे बड़ा मेघनाथ माना जाता है।
होली के दिन जहां भारत भर में हर जगह रंग-गुलाल उड़ते हैं वहीं जिला मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर तहसील केवलारी के ग्राम पंचायत पांजरा में नजारा ही कुछ अलग होता है। यहां न होली खेली जाती है और न ही रंग गुलाल उड़ता है। यहां एशिया के सबसे ऊंचे 60 फीट मेघनाथ में वीर झूलते हैं।
आसपास के ग्राम क्षेत्रों से गाजे-बाजे के साथ झूमते-नाचते वीर आते हैं। वीर हकड़े बिर – र ओ – ओ – ओ चिल्लाते हुए आते हैं। वीर उन्हें कहते हैं जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं ऐसे वीर 60 फीट ऊंचे मेघनाथ की मचान में चढ़ाकर उल्टे होकर घूमते हैं। चक्कर पूरे होने पर वीर ऊपर से नीचे नारियल फेंकते हैं। वीर का इससे भार उतर जाता है। यह सिलसिला कई वर्षों से चला आ रहा है।
आदिवासी पंरपरा से जुड़ी मान्यता : रंगों का त्यौहार को इस तरह मनाने की यह अनोखी परंपरा आदिवासी स यता से जुड़ी हुई है। ग्राम पांजरा में हर साल मेघनाथ मेले का आयोजन किया जाता है। आस्था और मन्नतों से जुड़े इस मेले में मेघनाथ के प्रतीक स्वरूप 60 फीट ऊंचा लकड़ी का स्तंभ लगाया जाता है। इस दिन का यहां के लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं।
तीन लोग चढ़ातें हैं ऊपर : ग्राम पांजरा का यह मेघनाथ मेला एशिया में सबसे बड़ा है जिसके मु य स्तंभ में 28 खूंटी लगाई जाती है। इन्हीं के माध्यम से युवक ऊपर चढ़ता व उतरता है। इसके ऊपरी हिस्से में तीन लोग खड़े हो सके इसके लिए एक मचान तैयार किया जाता है। ये जितना आकर्षक है उतना खतरनाक भी होता है लेकिन बरसों की आस्था हर साल यहां 60 फीट ऊंचे स्तंभ में देखने मिलती है।
डेरा बाबा की करते हैं पूजा : संतान प्राप्ति, विवाह, बीमारी सहित किसी भी परेशानी का निदान मेघनाथ की पूजा ही होती है। मन्नत पूरी होने पर वीर फडेरा बाबा की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दौरान मेघनाथ के नीचे वीर को विभिन्न व्यंजनों के साथ मुर्गे की बलि दे उसके मांस का भोग भी लगाया जाता है।
नहीं चलता रंग-गुलाल : धुरेड़ी के दिन जहां लोग रंग गुलाल से बचने के लिए पुराने वस्त्र पहनते हैं। वहीं ग्राम पांजरा और उसके आसपास के करीब एक दर्जन से अधिक ग्राम के लोग स्वच्छ और नवीन वस्त्र पहनकर मेघनाथ मेला में आते हैं। मेले में जमकर खरीदारी होती है वहीं बच्चे कोई आइसक्रीम तो कोई झूले का आंनद लेता नजर आता है।
दूर-दूर से आते हैं लोग : मेघनाथ मेले में जिले के दूर दराज के ग्राम के साथ साथ प्रदेश के अन्य राज्यों से भी लोग मेघनाथ मेले में आदिवासी वीर के हैरत अंगेज दृश्य को देखने के लिए आते है। दूसरे राज्यों से भी लोग भी अब इस मेले में आने लगे हैं।

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