प्रशासन को करना चाहिये विदेशी पटाखों का विक्रय प्रतिबंधित
(वाणिज्य ब्यूरो)
सिवनी (साई)। सावधान! सस्ते चीनी पटाखे महंगे पड़ेंगे। छोटे आकार के ये पटाखे देश में प्रतिबंधित क्लोरेट नामक विस्फोटक से बने होते हैं। ऐसे में इससे न सिर्फ धमाका बेहद तेज होता है, बल्कि हादसे की आशंका भी अधिक रहती है।
जानकारों का कहना है कि जहाँ देशी सुतली बम फोड़ने पर लगभग 80 डेसीबल आवाज करता है, वहीं इसी साइज का चीनी पटाखा 300 डेसीबल से अधिक की आवाज करता है और काफी धुंआ फैलाता है। विशेषज्ञों की मानें तो देशी पटाखों के मुकाबले छोटे और आकर्षक दिखने वाले चीनी पटाखे प्रदूषण भी अधिक करते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चीनी पटाखों से तौबा करने में ही समझदारी है।
राजधानी भोपाल के विस्फोट विशेषज्ञों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि देशी पटाखे बनाने में सल्फर एल्यूमीनियम और नाइट्रो कंपाउंड नामक विस्फोटकों का उपयोग किया जाता है। सामान्य आकार का एक सुतली बम बनाने में लगभग पाँच ग्राम विस्फोटक, लगभग 15 फीट सुतली और पाँच ग्राम पेपर का उपयोग किया जाता है।
विस्फोटक विशेषज्ञों की मानें तो यह सुतली बम जितनी आवाज करता है उससे चार गुना अधिक आवाज इसके एक चौथाई आकार का चीनी पटाखा करता है। इसकी मुख्य वजह है कि चीनी पटाखों में उपयोग होने वाला विस्फोटक क्लोरेट। यह सल्फर एल्यूमीनियम और नाइट्रो कंपाउंड के मुकाबले कहीं अधिक ज्वलनशील होता है।
तभी मिलते हैं सस्ते : जानकारों का कहना है कि सल्फर एल्यूमीनियम और नाइट्रो कंपाउंड के मुकाबले क्लोरेट काफी सस्ता होता है। भारत देश में क्लोरेट प्रतिबंधित है। ऐसे में पटाखों के निर्माण में सल्फर एल्यूमीनियम और नाइट्रो कंपाउंड का उपयोग किया जाता है। यही वजह है कि चायनीज पटाखे देशी पटाखों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं।
जहरीली गैस छोड़ते हैं चीनी पटाखे : जानकारों की मानें तो क्लोरेट पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीश्यिम आदि के साथ उपयोग किया जाता है। पटाखे में क्लोरेट को अगर पोटेशियम के साथ उपयोग किया गया है तो इसके विस्फोट से पोटेशियम क्लोराईड गैस निकलेगी। यह गला घोंटने वाली जहरीली गैस होती है।
भोपाल में लगी रोक : बताया जाता है कि राजधानी भोपाल के जिलाधिकारी तरूण पिथौड़ के द्वारा रात दस बजे के बाद एवं तेज आवाज वाले पटाखों को फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी कर दिये गये हैं।

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