सही समय है करवा लिये जायें वार्ड के नाम स्थानीय विभूतियों के नाम पर!

 

 

(लिमटी खरे)

स्थानीय निकाय के चुनावों की आहट सुनायी देने लगी है। इस बार जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद में वर्तमान में अस्तित्व वाले दो दर्जन (24) वार्ड को बढ़ाकर तीन दर्जन (36) करना प्रस्तावित है। इसके लिये सरकारी स्तर पर कवायद आरंभ हो चुकी है। काँग्रेस और भाजपा के कदमताल देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि उन्हें इस कवायद से ज्यादा लेना-देना नहीं है।

सिवनी में वर्तमान में अस्तित्व वाले 24 वार्ड देश की अनेक विभूतियों के नाम पर हैं। एक दर्जन नये वार्ड बनना प्रस्तावित है। इन वार्ड्स में कहाँ किस-किस क्षेत्र को वर्तमान वार्ड से निकालकर नये वार्ड बनाये जायेंगे, इस बात का प्रचार-प्रसार भी ज्यादा नहीं होने के कारण लोगों को यह पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन से वार्ड की सीमा कहाँ तक रहेगी। होना यह चाहिये कि प्रशासन को इन वाडर््स के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से दी जाये। इसके अलावा एक-एक वार्ड के बारे में रोज जनसंपर्क कार्यालय के जरिये जारी होने वाली सरकारी विज्ञप्तियों के जरिये आम जनता तक यह बात पहुँचायी जाना चाहिये कि वे जिस वार्ड में निवास कर रहे हैं उस वार्ड की सीमा में किस तरह का परिवर्तन किया जा रहा है। इससे जनता में जागरूकता आयेगी एवं दावे और आपत्ति भी इसके बाद ही सही तरीके से प्रशासन के समक्ष पहुँच सकेंगे।

प्रदेश में चूँकि काँग्रेस की सरकार है इसलिये काँग्रेस के संगठन को इसके लिये पहल करना चाहिये। वहीं, दूसरी ओर नगर पालिका पर तीन बार से भाजपा का कब्जा है इसलिये भाजपा की भी यह जवाबदारी बनती है कि वह भी इस मामले में प्रशासन के सामने इस तरह का प्रस्ताव रखे।

वर्तमान में अस्तित्व वाले 24 वार्ड चूँकि देश की विभूतियों के नाम पर हैं इसलिये इन वाडर््स में नाम का परिवर्तन शायद नहीं किया जा सके, पर नये बनने वाले एक दर्जन वार्ड के नाम अगर स्थानीय विभूतियों के नाम पर करने की कवायद की जाती है तो आने वाली पीढ़ियों को स्थानीय विभूतियों के बारे में न केवल जानकारी होगी, वरन उनका नाम दशकों तक लोग याद रख पायेंगे।

विडंबना ही कही जायेगी कि जिले में अब तक एक भी स्थानीय विभूति के नाम पर सड़क या चौराहा तक स्थापित नहीं हो पाया है। आज़ादी के पहले और आज़ादी के उपरांत जिले को समय-समय पर नयी दिशा देकर युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने दिवंगत लोगों के नाम से शहर में चौक चौराहे और सड़कों का नामकरण किया जा सकता है, पर निहित स्वार्थ की सियासत में उलझे हुए सियासतदारों के द्वारा इस दिशा में सोचने की फुर्सत तक नहीं उठायी जाती है।

नितेंद्र नाथ शील, मनोहर जठार, टी.पी. जठार, नारायण दास गुप्त, कुंज बिहारी लाल खरे जैसी विभूतियों का सिवनी के लिये योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में शिवराज नंदन शर्मा, जे.के. सिंह, एम.के. सिंह, आदि, विधि के क्षेत्र में पंड्या साब, ओम प्रकाश वर्मा, राजेंद्र गुप्त आदि, पत्रकारिता के क्षेत्र में अशोक कौशल, गोविंद नेमा आदि, व्यापार जगत में हरि सिंघानिया, राम स्वरूप फतेहचंद अग्रवाल आदि का योगदान भी अविस्मरणीय ही रहा है। सिवनी में भूमिगत पाईप लाईन बिछाने वाले लाला हरगोविंद राय सरीन जिन्हें लोग नल बाबू के नाम से भी जानते थे। सियासी क्षेत्र में लौह महिला विमला वर्मा, प्रभा भार्गव, हरवंश सिंह ठाकुर, मूलचंद दुबे के साथ ही साथ अनेक विभूतियां जिले में पैदा हुईं या उनका कार्यक्षेत्र सिवनी रहा है।

आज युवा हो रही पीढ़ी इनमें से अधिकांश लोगों के बारे में शायद ही कुछ जानती हो। अगर इन विभूतियों का नाम लोगों की जुबान पर बार-बार नहीं आया तो निश्चित तौर पर दो चार दशकों में इनके नाम लोगों की स्मृति से विस्मृत हो जायेंगे। आज आवश्यकता इस बात की है कि सिवनी के विकास में योगदान देने वाले लोगों के जीवन, आदर्श, चाल, चरित्र, कार्यप्रणाली और उपलब्धियों को युवाओं के समक्ष रखा जाये।

अमूमन होता यह है कि देश दुनिया की विभूतियों के नाम पर ही देश भर में सड़कों, चौराहों, वार्ड, रेल, बस आदि के नाम रख दिये जाते हैं, पर स्थानीय निवासियों के नाम पर ऐसा कुछ भी नहीं हो पाता है। आज जरूरत इस बात की है कि इस तरह की मुहिम चलायी जाये ताकि स्थानीय नागरिकों को उनके अवसान के उपरांत पहचान दिलायी जाये। रेलवे में जब कोई चालक सेवा निवृत्त होता है तो वह जिस इंजन को लेकर अंतिम बार जाता है उस इंजन का नाम उस लोको पायलट के नाम पर कर दिया जाता है।

उम्मीद है कि स्थानीय विभूतियों को दशकों तक याद किये जाने के लिये स्थानीय सांसद, विधायकों, सियासतदारों, गैर राजनैतिक संगठनों, सोशल मीडिया पर सक्रिय युवाओं के द्वारा एक मुहिम चलायी जाकर शहर के चौक चौराहों, सड़कों के नाम उनके नाम पर करवाने के साथ ही साथ नगर पालिका के नये अस्तित्व में आने वाले एक दर्जन वार्ड के नाम भी इन विभूतियों में से कुछ के नाम पर करवाने की कवायद की जायेगी, जो सिवनी के नव निर्माण में योगदान देने वाले इन लोगों को आज की पीढ़ी की सच्ची श्रृद्धांजलि साबित होगी. . .!

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