(शरद खरे)
स्वर्णिम चतुर्भुज के अंग उत्तर दक्षिण फोरलेन सड़क गलियारे में सिवनी जिले की सीमा में एक के बाद एक दुर्घटनाएं, घायलों और काल कलवित होने वालों की तादाद में विस्फोटक इजाफा फिर भी हुक्मरान ट्रामा केयर यूनिट के मसले में मौन ही धारण किये हुए हैं। यह वाकई अपने आप में विचारणीय ही माना जायेगा।
देखा जाये तो इस सड़क को सिवनी जिले के नागरिकों से छीनने के अनेक असफल प्रयास लगातार किये गये। एक के बाद एक प्रहारों के बाद भी इस सड़क का एलाईंमेंट अपरिवर्तनीय ही रहा है। इस सड़क पर सिवनी बायपास में, सदभाव इंजीनियरिंग कंपनी को एक ट्रामा केयर यूनिट की संस्थापना हेतु भवन के निर्माण का काम करना था।
इस ट्रामा केयर यूनिट को लेवल तीन का बनाया जाना प्रस्तावित था। इसके तहत दुर्घटना में घायल मरीज़ के प्रारंभिक मूल्यांकन और उसे किस तरह स्थिर रखा जाकर उसका उपचार किया जाये की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिये थी। इस ट्रामा केयर यूनिट को वर्ष 2010 में अस्तित्व में आ जाना चाहिये था।
इसके लिये भवन का निर्माण एनएचएआई के द्वारा किया जाना था और शेष चिकित्सक, विशेषज्ञ, पेरा मेडिकल स्टॉफ आदि की व्यवस्था केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा किया जाना प्रस्तावित था। इसका निर्माण सदभाव के साथ एनएचएआई के अनुबंध में शामिल था। इस तरह की सुविधाओं को अपग्रेड तो किया जा सकता है पर, किसी भी परिस्थिति में इसे विलोपित (डिलीट) नहीं किया जा सकता है।
विडंबना ही कही जायेगी कि वर्ष 2010 के बाद बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे के.डी.देशमुख और बोध सिंह भगत के अलावा वर्तमान सांसद डॉ.ढाल सिंह बिसेन तथा मण्डला संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे बसोरी सिंह मसराम और वर्तमान संसद सदस्य फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस दिशा में कोई भी प्रयास नहीं किये हैं जबकि, यह सड़क उनके संसदीय क्षेत्र का अहम हिस्सा मानी जा सकती है।
एनएचएआई के अधिकारी इस मामले में जनप्रतिनिधियों को गुमराह करते ही नज़र आते हैं। कहा जाता है कि इसके बदले में जिला चिकित्सालय में एक ट्रामा केयर यूनिट का भवन बना दिया गया है जबकि, हकीकत यह है कि जिला चिकित्सालय में बनाया गया ट्रामा केयर यूनिट केंद्र की इमदाद से बना है एवं राज्य शासन के द्वारा ट्रामा केयर यूनिट का संचालन किया जाना है, जो कि अभी भी आरंभ नहीं कराया जा सका है।
मजे की बात तो यह है कि भारतीय राष्ट्रीय सड़क प्राधिकरण के द्वारा सिवनी के ट्रामा केयर का निर्माण न करने वाली सद्भाव कंपनी को पूर्णता प्रमाण पत्र दिया जाकर उसको एनयूटी के रूप में लगभग 19 करोड़ रुपये की राशि हर छः माह में दी जा रही है। मजे की बात तो यह है कि सद्भाव कंपनी को कम दूरी की सड़क बनाने पर उतनी ही राशि दी जा रही है जितनी कि मीनाक्षी कंपनी को ज्यादा दूरी तक सड़क बनाने के लिये दी जा रही है।
संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि सिवनी बायपास पर बनने वाले ट्रामा केयर यूनिट को तत्काल ही आरंभ कराने के लिये एनएचएआई के अधिकारियों को पाबंद करें ताकि, दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की तादाद को न केवल कम किया जा सके वरन लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा भी मुहैया हो सके।

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