कृपया पत्रकारिता की ओर लौटिये

 

 

 

 

(प्रकाश भटनागर)

हो सकता है कि इस विषय पर कुछ लिखना गलत हो। आत्मघाती हो। किंतु आज भी समझौता करने का कदापि मन नहीं कर रहा। सोशल मीडिया पर जनसंपर्क संचालनालय के एक वरिष्ठ अफसर का आज जिस तरह चीरहरण किया गया, उसने कई पुरानी स्मृतियों के कसैलेपन को एक बार फिर हरा कर दिया। जाहिर है कि शिकायत को जानबूझकर सार्वजनिक किया गया है। सोशल मीडिया पर डाला गया है। जो कुछ भी है, है बहुत विचित्र। मीडिया के हक के नाम पर ऐसी जंग, जिसका मीडिया की मूल आत्मा से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं है। लोकतंत्र का चौथा खम्भा उन परिंदों की बीट से सन गया है, जो रात-दिन चहचहाने की बजाय विज्ञापन-विज्ञापन का कर्कश चीत्कार कर रहे हैं। ये परिंदे समाचारों से संबंधित किसी भी आयोजन में सबसे आगे, सब पर हावी और सबसे ज्यादा सक्रिय दिखते हैं

सिक्के का दूसरा पहलू यह कि उस आयोजन के कव्हरेज के मामले में अंतत: ये सबसे पीछे, सबसे कमजोर और सर्वाधिक निकम्मे साबित होते हैं। वहां उनकी गंभीरता सिर्फ इस बात के लिए रहती है कि मौजूद राजनेता या अफसर उन्हें बतौर पत्रकार पहचानने लगे। अगली बार जब विज्ञापन के लिए विनयपूर्वक दबाव बनाना हो तो यह पहचान किसी तरह काम आ जाए। नि:संदेह मीडिया के संचालन के लिए विज्ञापन बहुत बड़ी आवश्यकता होता है। इन छोटे-मोटे पत्रकारों के आचरण पर दु:ख जताते समय मैं इस बात का भी पूरा ध्यान रख रहा हूं कि बड़े अखबार एवं चैनल समूहों ने ही अपने आर्थिक हितों के लिए घुटने टेकने का क्रम शुरू किया था। ऐसा उस समय किया गया, जब मीडिया की ताकत (सकारात्मक) चरम पर थी। नकारात्मक ताकत भी प्रभावशाली थी। लेकिन ज्यों ही सेठों ने अपनी जेब भरने के लिए अपने अखबार को पीले रंग से रंग दिया।

जब चैनल मालिकों ने अपने कैमरों के आगे से निष्पक्षता वाला लैंस हटाकर फेंक दिया, तब छोटे अखबार या चैनल सहित वेबसाइट संचालकों के लिए तो कोई रास्ता बचा ही नहीं। इन छोटे एवं मध्यम स्तर के पत्रकारों और उन अखबार तथा चैनल मालिकान के बीच बहुत ही मामूली अंतर रह गया है। अंतर केवल यह कि बड़े मगरमच्छों ने अपने हित की खातिर पत्रकारिता को एअर इंडिया के पुराने महाराजा के रूप में तब्दील कर दिया और छोटे तथा मझोले मीडियाकर्मी पिसकर मरने से बचने के लिए खुद ही झुकने पर विवश हो गये। स्वेच्छा एवं मन मारकर किये गये इस कर्म से उपजी हताशा एवं क्रोध ही है कि किसी बड़े अखबार या चैनल की किसी भी गलती का छोटे पत्रकारों के समूह द्वारा पूरी ताकत से उपहास किया जा रहा है। वह भी सार्वजनिक रूप से।

सोचिए कि हम क्या हो गये हैं? वाकई लिखने-पढ़ने वाले पत्रकारों ने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली है। वे विधानसभा में कम दिखते हैं। वल्लभ भवन में उनकी चहलकदमी सीमित हो गयी है। पत्रकारिता जगत में उनके लिए संभावनाएं तेजी से  न्यूनतम होती जाती हैं। और वो पत्रकार,जिनका लिखने-पढ़ने से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं, वे हर जगह नामूदार हो जाते हैं। उनके बीच का संवाद सुनिये। सोशल मीडिया पर उनकी बहस सुनिए। सारा मामला विज्ञापन से शुरू होकर विज्ञापन पर ही खत्म हो जा रहा है। जैसे कि पत्रकारिता के पवित्र पेशे में अब विज्ञापन के अलावा और कुछ रह ही नहीं गया हो। करीब दो दशक पहले की बात है। दिग्विजय सिंह की एक पत्रकार वार्ता में एक स्वनाम धन्य पत्रकार ने एक वाकई पठन-पाठन और चिंतन-मनन की क्षमता से युक्त पत्रकार से कलम मांग ली।

पत्रकार ने उसे जवाब दिया, तुम्हें लिखने की क्या जरूरत है? चाय पीओ, समोसा खाओ और चलते बनो। वह पत्रकार अपना सा मुंह लिये चला गया था। लेकिन मेरा दावा है कि आज यदि इन्हीं दो पत्रकारों के बीच फिर से ऐसा ही संवाद हो तो अगला अपना सा मुंह लेकर नहीं जाएगा। वह वहीं खड़े होकर गिना देगा कि पत्रकारिता की गंदी गलियों से गुजरकर वह कितना आगे जा चुका है। मैं ने वह दौर देखा है, जब किसी पत्रकार के जनसंपर्क संचालनालय पहुंचने पर दिग्गज अफसरों के भी तेवर नरम हो जाते थे। दुर्भाग्य से मैं वह दौर भी देख रहा हूं, जब पत्रकारों को अफसरों के लिए अपने सारे तेवर ढीले करके उनके चैंबर में प्रवेश करना होता है। इस पेशे की इस कलंकित अवस्था के लिए हम सभी दोषी हैं। उसका गुस्सा जनसंपर्क के किसी अफसर पर कीचड़ उछालकर मत उतारिये। किसी बड़े मीडिया समूह की खिल्ली उड़ाकर मत निकालिये। संघर्ष कीजिये। फिर सच्ची पत्रकारिता की ओर मुड़िये। यकीन मानिए, यह कठिन जरूर है, किंतु निर्लज्ज बनकर विज्ञापन वाली पत्रकारिता से कई अनंत गुना अधिक सुख इस कोशिश में आज भी छिपा हुआ है। कृपया पत्रकारिता की ओर लौटिये।

(साई फीचर्स)

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.