क्या पटाखा व्यवसायियों को भी मंदी का शिकार माना जायेगा!

 

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि सिवनी में पटाखा की दुकानें कहाँ लगवायी गयीं हैं।

दरअसल हम, अपने साथियों के साथ गाँव से किसी तरह छपारा गये और फिर वहाँ से बस में बैठकर महंगा किराया चुकाकर सिवनी पहुँचे पटाखे खरीदने के लिये लेकिन सिवनी पहुँचने के बाद मालूम हुआ कि शहर में अभी तक पटाखों की बिक्री ही आरंभ नहीं हुई है। बिक्री तो छोड़िये, कोई यह तक बताने को तैयार नहीं था कि पटाखा दुकानें कहाँ पर लगायी गयी हैं ताकि वहाँ जाकर दुकानदारों से एक प्रयास करके पटाखे खरीदने की उम्मीदों को कायम रखा जाता लेकिन हम लोग उसमें सफल नहीं हो सके।

सिवनी के वाशिंदों ने शायद इसलिये यह नहीं बताया होगा कि उनकी खुद की जानकारी में नहीं रहा होगा कि इस वर्ष दुकानें कहाँ पर लगवायी जा रही हैं। आश्चर्य जनक रूप से दीपावली का त्यौहार आरंभ होने में अब से महज दो दिन शेष रह गये हैं ऐसे में लोग पटाखे कैसे खरीदेंगे और दुकानदार मुनाफा भी क्या खाक कमा सकेंगे।

पिछले कई वर्षों से प्रशासन ही पटाखा व्यवसायियों को दुकानों का स्थान चिन्हित करता आया है और उसमें अब तक विलंब कभी नहीं देखा गया था लेकिन इस वर्ष प्रशासन की लेटलतीफी की वजह से शायद दुकानों के स्थान के साथ ही साथ उनका आवंटन भी नहीं किया गया है। आपके समाचार पत्र दैनिक हिन्द गजट के माध्यम से यह जानकारी अवश्य मिली थी कि मठ मंदिर के समीप स्थित मैदान पर पटाखे की दुकानें लगवायी जा सकती हैं।

उस आधार पर मठ मंदिर वाले मैदान पर भी हम लोग गये लेकिन वहाँ दुकानें तो लगाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन उन दुकानों पर पटाखे उपलब्ध नहीं थे जिसके कारण हम लोगों को महंगा किराया लगाकर वापस अपने गाँव लौटना पड़ा। इस तरह और भी लोगों को दुविधा हुई होगी जिसका जिम्मेदार प्रशासन की लेटलतीफी को ही माना जा सकता है। प्रशासन को इस बारे मेें सोचना होगा कि पटाखा व्यवसायी किस तरह  गिने चुने दिनों में अपना व्यापार उस तरह कर पायेंगे जैसे वे हर साल करते आ रहे थे।

मजे की बात तो यह है कि मंदी के इस दौर में इस बात का उदाहरण भी दिया जायेगा कि सिवनी में पटाखा व्यवसायी भी मंदी के शिकार हुए हैं जबकि उसके पीछे प्रशासन की कार्यप्रणाली ही रहेगी क्योंकि खरीददार तो कई दिन पहले से ही तैयार हैं पटाखा खरीदने के लिये पर उन्हें पटाखे उपलब्ध ही नहीं होने दिये गये। उम्मीद है प्रशासन आने वाले वर्षों मेें अपनी गलतियों से सीख अवश्य लेगा और पटाखा दुकानों को समय पर लगवायेगा ताकि लोग पटाखे खरीदकर और उन्हें चलाकर अपना त्यौहार तो हर्षोल्लास के साथ मना सकें साथ ही व्यापारी भी मुनाफा कमा सकें।

कुंज बिहारी यादव

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