बारिश का सीजन जाने को है और स्वाइन फ्लू के केस भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। इसकी कई वजह हो सकती हैं। हम सभी जानते हैं कि बारिश के सीजन में आस-पास बारिश का पानी भरने से गंदगी पैदा होती है। साथ ही मौसम में बदलाव आता है, जिसके चलते लोगों में बीमारियां और कई तरह के वायरस उनके शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
स्वाइन फ्लू, एक तरह का वायरस होता है, जिसका नाम एच1एन1 इंफेक्शन है। इसने अपनी चपेट में तकरीबन 221 लोगों को ले रखा है। वहीं, अप्रैल 2017 तक इस वायरस ने करीब 100 लोगों की जान तक ले ली है। स्वाइन फ्लू इंफेक्शन ठीक उसी तरह फैलता है, जिस तरह सर्दी, जुखाम और बाकी के वायरस का इंफेक्शन फैलता है।
जब हम खांसते हैं या फिर छिंकते हैं, उस टाइम इंफेक्शन की कुछ बूंदें बाहर आ जाती हैं, जिसके चलते स्वाइन फ्लू वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। ये बूंदें एक मीटर तक दूर जा सकती हैं और जो व्यक्ति इस वायरस के साथ 24 घंटे तक टच में रह चुका है, उसको यह अपनी चपेट में ले लेता है।
डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि हर व्यक्ति को अपने हाथ थोड़ी-थोड़ी देर में साबुन से साफ करते रहना चाहिए। क्योंकि जब भी हम अपने गंदे हाथ मुंह तक लेकर जाते हैं, तो उसमें मौजूद वायरस हमारे शरीर के अंदर तक चले जाते हैं। सिर्फ यही नहीं, यह वायरस आपको किसी भी पब्लिक जगह पर, घर में या आॅफिस में भी मिल सकता है। स्वाइन फ्लू केवल 24 घंटों में आपके अंदर पैदा हो सकता है, वह भी सिर्फ एक मामूली इंफेक्शन से।
विशेषज्ञ की सलाह. . .
स्वाइन फ्लू होने की कई वजह हो सकती हैं, जैसे खांसी, खराब गला रहना, छिंकें आना, बुखार, नाक बंद होना, डायरिया, उल्टी होना आदि। ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई के हेड आॅफ इंफेक्श्स डिजिज डिपार्टमेंट के डॉ. वसंत नागवेकर का कहना है कि स्वाइन फ्लू से बचने के कुछ आसान और साधारण से उपाय हैं। इसमें बहुत ही छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत होती है, जैसे अपना खाना किसी के साथ न शेयर करना, हवादार जगह पर रहना, खांसी और छिंक आते वक़्त अपने मुंह को ढकना, इंफेक्शन वाले लोगों से दूरी बनाकर रखना, खुद की हाइजीन पर खास ध्यान देना, बाहर से आने के बाद सबसे पहले साबुन से अपने हाथ धोना आदि। अगर कभी-भी किसी व्यक्ति को कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो वह तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर की सलाह लेने जरूर जाएं।
कई लोग स्वाइन फ्लू के लक्षण खुद में देखकर काफी पैनिक करने लगते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने नजदीक के किसी विशेषज्ञ से पहले जांच करानी चाहिए। अगर व्यक्ति सही समय पर इसका उपचार कराना शुरू कर देता है, तो उसे टाइम से ट्रीटमेंट मिल सकता है और वह इससे निजात पाते हुए समय से ठीक भी हो सकता है।

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