रात को अंधेरे में डूब जाती है ऐतिहासिक शाला!

 

 

मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला में हो प्रकाश की व्यवस्था

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। अपने दामन में गौरवशाली इतिहास संजोने वाले मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला के पूर्व छात्रों को इस बात का मलाल है कि जिस शाला में उन्होंने अध्ययन किया है उस शाला में शाम ढलते ही अंधेरा पसर जाता है। विद्यार्थियों ने रात के समय इस शाला में प्रकाश की व्यवस्था की माँग की है।

ज्ञातव्य है कि 1900 ईस्वी में निर्मित यह शाला भवन 119 साल बाद भी सिर उठाये खड़ा हुआ है। इस शाला में अध्ययन करने वाले अनेक विद्यार्थियों के द्वारा देश – विदेश में जिले और इस शाला का नाम भी रौशन किया गया है। इस इमारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण परिसर से उन लोगों की भावनाएं बहुत गहरे तक जुड़ी हुईं हैं जो देश – विदेश में या तो नाम कमा चुके हैं या इन दिनों कमा रहे हैं। वे जब सिवनी आकर इस ऐतिहासिक धरोहर के दर्शन करते हैं तब उन्हें इस बात का रंज होता है कि इसके रख रखाव की दिशा में ज्यादा गंभीरता के साथ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

वर्षों पहले इस स्कूल की सीमा पर गांधी भवन से गणेश चौक वाले सिरे पर दुकानों का निर्माण करवा दिया गया। इन दुकानों के निर्माण के कारण मिशन स्कूल प्रबंधन को भले ही आर्थिक रूप से फायदा पहुँचा हो लेकिन इससे वहाँ बाज़ार का वातावरण निर्मित हो गया जो एक शिक्षण संस्थान को प्रभावित करने के लिये काफी माना जा सकता है। नागरिकों का कहना है कि दुकानों के निर्माण के कारण मिशन स्कूल की गरिमा को कहीं न कहीं ठेस अवश्य पहुँची है।

इसके कारण उस महत्वपूर्ण क्षेत्र में बाज़ार का वातावरण निर्मित हो गया जिसने इस शाला के शिक्षा के स्तर को भी जमकर प्रभावित किया है। एक समय इस मिशन स्कूल की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी लेकिन अब इसमें वह बात नहीं रही। बावजूद इसके, इस शाला परिसर की भव्य इमारत आज भी इसके स्वर्णिम दिनों की याद दिलाती है। दुकानों के कारण इस शाला की भव्यता सामने से तो अब उतनी नहीं दिखायी देती है लेकिन आजू-बाजू से यह अपनी ओर आज भी आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

रात के समय में इस इमारत के दर्शन, सामने से तो क्या आजू-बाजू से भी नहीं किये जा सकते हैं, इसका कारण यही है कि यहाँ पर रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। संभव था कि यदि यही इमारत किसी अन्य जिले में स्थित होती तो इसकी भव्यता को और भी ज्यादा निखारने की दिशा में प्रयास अवश्य किये जाते। शाला प्रबंधन भले ही रूचि न दिखाये लेकिन नगर पालिका जैसी संस्थाएं इस परिसर को रौशनी से नहला देतीं और रात में भी यह भव्य इमारत सिवनी के गौरव को बयां करती नज़र आती।

इसी शाला में लगे घण्टे की ध्वनि दूर-दूर तक सुनी जाती है और लोग जब सिवनी आते हैं तब इमारत को निहारते समय उनकी नज़र, इमारत के ऊपर लगे घण्टे पर सहसा ठहर सी जाती है। इस शाला परिसर में खेल मैदानों की कमी भी नहीं है। संभवतः यही एक ऐसी शाला है जिसके पास, शहर के मध्य में स्थित होने के बावजूद खेल के लिये विशाल रकबा उपलब्ध है और इन मैदानों पर विभिन्न व्यवसायिक आयोजन भी होते हैं।

बड़े मिशन स्कूल से जुड़े लोगों का कहना है कि के इस शाला के मैदानों पर ऐसे व्यवसायिक आयोजनों को उचित कहा जा सकता है या नहीं, यह तो अलग बात है लेकिन इन मैदानों का उपयोग राते के अंधेरे में मयज़दे अवश्य करते हैं। इसलिये पुलिस प्रशासन को भी चाहिये कि उसके द्वारा यहाँ गंभीरता के साथ गश्ती अवश्य करवायी जाये। यदि प्रकाश की उचित व्यवस्था इस शाला परिसर के चारों तरफ हो जाती है तो इसकी सुंदरता में तो चार चाँद लगेंगे ही लगेंगे, साथ ही असामाजिक तत्व इस शाला परिसर का उपयोग रात के अंधेरे में नहीं कर सकेंगे।

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.