मच्छरों ने किया शहर की नाक में दम!

 

 

नगर पालिका दिख रही मच्छरों से निपटने में अक्षम

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शहर में नागरिक मच्छरों से बुरी हलाकान नज़र आ रहे हैं। नगर पालिका परिषद के द्वारा सिवनी शहर के नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया न करवा पाने से नागरिकों में रोष और असंतोष का लावा खदबदाता दिख रहा है। शहर में जहाँ तहाँ पसरी गंदगी के कारण उपजे मच्छरों से निपटने में नगर पालिका परिषद पूरी तरह अक्षम ही साबित होती दिख रही है।

नागरिकों का कहना है कि मच्छरों और उनके लार्वा के विनिष्टीकरण का अभियान चलाने की बात नगर पालिका के द्वारा की तो जाती है पर हालात देखकर यही प्रतीत होता है कि नगर पालिका परिषद के द्वारा नागरिकों के साथ जुमलेबाजी के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा है।

नागरिकों ने कहा कि दीप पर्व पर रात में चलने वाले पटाखों के धुंए के कारण दीपावली की रात में लोग मच्छरों की फौज के हमले से काफी हद तक बचे रह सकते हैं पर यह स्थायी व्यवस्था नहीं है, वैसे भी इस बार दीपावली की रात पानी गिरने से पटाखे कम ही चले। लोगों की मानें तो नगर पालिका को इसके लिये स्थायी उपाय किये जाने चाहिये।

ज्ञातव्य है कि नगर पालिका परिषद के पास फॉगिंग मशीन है। इसके अलावा मच्छरों के शमन के लिये अनेक तरह के रसायनों को खरीदने के लिये नगर पालिका के द्वारा हर साल लाखों रूपये व्यय किये जाते हैं। नागरिकों की मानें तो न तो फॉगिंग मशीन ही सड़कों पर दिखती है न ही मच्छरों के शमन के लिये रसायन ही कहीं डाले जाते दिखते हैं।

लोगों का कहना है कि चौबीसों घण्टे उन्हें मच्छरों से बचने के लिये तरह – तरह के प्रयोग करने पड़ रहे हैं। मच्छर भगाने के लिये जलायी जाने वाली कुछ अगरबत्तियों के धुंए से लोगों को एलर्जी, खांसी, सर्दी जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं, चिकित्सकों की मानंे तो बाज़ार में मिलने वाली कुछ मच्छर मार अगरबत्तियों का धुंआ मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक भी हो सकता है।

चिकित्सकों की मानें तो इसके धुंए से दमे के रोगियों पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है। बाज़ार में कुछ हर्बल अगरबत्तियां भी बिक रही हैं पर ये वास्तव में हर्बल उत्पाद से बनी हैं अथवा नहीं इस बारे में कोई प्रमाणिकता के साथ दावा भी नहीं कर सकता है।

वहीं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्वारा अब तक बाज़ार में बिकने वाले मच्छर मार प्रोडॅक्ट्स की जाँच के लिये शायद ही कभी नमूने संग्रहित कर उन्हें जाँच के लिये भेजा गया हो। शहर में आलम यह है कि शाम को चार बजे से सात बजे तक लोगों के घरों के दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखा जाता है क्योंकि यही समय मच्छरों के सबसे ज्यादा सक्रिय होने का माना जाता है। इस समय मच्छर घरों या प्रतिष्ठानों के अंदर प्रवेश करते हैं।

बताया जाता है कि दीपावली के पर्व पर लोगों के द्वारा घरों की साफ – सफाई कर कचरा घरों के आसपास खाली भूखण्डों पर फेंक दिया जा रहा है। कहीं – कहीं कचरा नालियों में डालने से ऐसी नालियां भी चोक होने की स्थिति में दिख रही हैं। कुल मिलाकर देखा जाये तो नगर पालिका की उदासीनता से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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