(ब्यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। छोटे-मध्यम उद्योगों को सरकार से मिलने वाली सब्सिडी यानी छूट को हासिल करने के लिए आरक्षण लागू करना होगा। निजी फैक्टरियों-कारखानों में आरक्षण लागू करने का फरमान नई उद्योग नीति के साथ सरकार ने लागू कर दिया है।
उद्योगपति सरकार की नीति और अपनी फैक्टरियों में सब्सिडी के ऐवज में आरक्षण के नियम के खिलाफ हैं। सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी शुरू हो रही है ताकि आरक्षण का पेंच हटाया जा सके। सप्ताहभर पहले ही मप्र शासन की नई एमएसएमई नीति जारी की गई है। इस नीति में छोटे मध्यम-उद्योगों के लिए कई तरह की राहत का ऐलान किया गया है।
सरकार की नीति में पहले से उद्योगों की स्थापना पर 40 फीसदी सब्सिडी शासन की ओर से देने का प्रावधान है। हालांकि पुरानी नीति में प्रावधान था कि छोटे उद्योगों को सिर्फ मशीन की लागत पर 40 फीसदी सब्सिडी मिलेगी जबकि बड़े उद्योगों को मशीन के साथ भवन की लागत पर भी सब्सिडी मिलेगी। छोटे मध्यम उद्योग सब्सिडी का पैमाना एक समान कर मशीन के साथ भवन की लागत को भी इसमें शामिल करने की मांग पर अड़े थे। सरकार ने नई एमएसएमई नीति में इस मांग को मानकर सब्सिडी के दायरे में मशीन के साथ भवन की लागत को भी शामिल कर लिया है।
लेकिन इसके साथ शर्त जोड़ दी गई है कि सब्सिडी हासिल करने के लिए इन उद्योगों को अपने यहां कर्मचारियों श्रमिकों की नियुक्ति में यह ध्यान रखना होगा कि 70 प्रतिशत कर्मचारी-श्रमिक स्थानीय हों। दूसरा कुल श्रमिकों में से 30 प्रतिशत ऐसे नियुक्त किए जाएं जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से हों। यानी कि सब्सिडी पाने के लिए निजी उद्योगों को भी एक तरह से आरक्षण लागू करना पड़ेगा।
स्थानीय से परेशानी नहीं
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआईएमपी) के साथ ही अन्य औद्योगिक संगठन भी नई एमएसएमई नीति के तहत नियुक्ति में जाति आधारित अनुपात के नियम के विरोध में आ गए हैं। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष योगेश मेहता कहते हैं कि फैक्टरियों को स्थानीय लोगों को वरीयता देने के नियम से कोई परेशानी नहीं है। ऐसा होता भी है कि आमतौर पर छोटे-मध्यम उद्योगों में ज्यादातर श्रमिक कर्मचारी स्थानीय ही होते हैं। लेकिन जाति आधारित नियुक्ति का पालन बहुत मुश्किल हो जाएगा। आखिर ये कोई कैसे ध्यान रखेगा और तय करेगा कि उसके यहां जिस श्रमिक को काम दिया जाए किसी जाति या वर्ग से हो। सरकार ने सब्सिडी के अन्य नियमों को तो सरल कर दिया है, लेकिन आरक्षण जैसी व्यवस्था उद्योगों के लिए मुश्किल खड़ी कर देगी।

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