(महुआ दत्ता)
कोलकता (साई)। खांसी की समस्या होने पर मुलेठी के साथ काली मिर्च का सेवन करने से कफ में राहत मिलती है। इतना ही नहीं इससे सूखी खांसी के साथ ही गले की सूजन भी दूर हो जाती है। मुलहठी, मुलेठी एक प्रसिद्ध और सर्वसुलभ जड़ी है। काण्ड और मूल मधुर होने से मुलहठी को यष्टिमधु कहा जाता है। बाज़ार में अरब, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान से आयी मुलहठी ही सामान्यतः पायी जाती है। मुलहठी, मुलेठी इस वृक्ष की जड़ के लंबे टुकड़े का नाम है। इन 05 रोगों में मुलेठी जादू की तरह काम करती है।
बार-बार मुँह सूखना
अगर आपका मुँह बार – बार सूख जाता है तो ऐसे में मुलेठी के एक छोटे टुकड़े को चूस सकते हैं। मुलेठी में 50 प्रतिशत पानी होता है जो लार बनाने में सहायक होता है। मुलेठी चूसने से गले की खराश में काफी सुधार आता है।
अल्सर
अनेक शोधों में पाया गया है कि अल्सर से होने वाले पेट के घावों को ठीक करने और उन्हें भरने में मुलेठी काफी फायदेमंद होती है। मुलेठी में पाये जाने वाले तत्व गैस्ट्रिक अल्सर में आराम पहुँचाते हैं।
कब्ज
फाइबर फूड न खाने के कारण कई लोगों में मोटापा, कब्ज और वायु रोग उत्पन्न होने लग जाते हैं। इनसे बचने के लिये मुलेठी की सूखी जड़ें लें और उसे पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को गुड़ व पानी के साथ लेने से आराम मिलेगा।
लिवर की मजबूती
लिवर में कुछ फ्री रेडिकल्स डैमेज होते हैं जिसकी वजह से हेपेटाइटिस बी रोग लोगों को अपना शिकार बना लेता है। इस स्थिति में मुलेठी लिवर में निकलने वाले बायल जूस के स्त्राव को तेज करने में सहायक होती है ताकि लिवर को इन रोगों से लड़ने की ताकत मिल सके।
जोड़ों में दर्द
आजकल हर पीढ़ी चाहे वह युवा हो या वृद्ध, जोड़ों और माँस पेशियों के दर्द से परेशान है। इसका एक कारण आजकल की व्यस्त दिनचर्या भी है। इस तरह के रोगों से बचने के लिये आप मुलेठी को रातभर के लिये पानी में भीगने दें और सुबह उस पानी से मुलेठी अलग करके पानी को पीयें। जोड़ों और माँस पेशियों के दर्द में राहत मिलेगी।
जानकार कहते हैं कि जंगली औषधियां अक्सर ही उपयोगी साबित होती हैं। ये आराम देने में कुछ वक्त लेती हैं लेकिन स्थायी आराम पहुँचाती हैं। वहीं सामान्यतया इनके साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं।

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