नहीं हुआ चैकअप, गिरने लगा स्वास्थ्य
(ब्यूरो कार्यालय)
घंसौर (साई)। घंसौर में तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर के मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से लोगों में रोष और असंतोष पनपने लगा है।
घंसौर में अपने पुत्र को झूठे आरोप में गिरफ्तार किये जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस मामले में गिरफ्तार किये गये युवक के पिता ने आमरण अनशन आरंभ कर दिया है। प्रशासन को सूचना दिये जाने के बावजूद अब तक प्रशासन ने पीड़ित की सुध नहीं ली है। न तो अनशन किये जा रहे शख्स का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है और न ही कोई अधिकारी उससे मिलने पहुँचा है जबकि अनशन को प्रारंभ हुए 24 घण्टे से अधिक का वक्त गुज़र चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घंसौर में तहसीलदार के फर्जी डिजीटल हस्ताक्षर तैयार कर प्रमाण पत्र बनाये जाने के मामले में पुलिस ने 16 अक्टूबर को प्रिंस ग्रियाम को सहआरोपी बनाया है जबकि इस मामले में मुख्य आरोपी दीपेश नेमा अब तक पुलिस की गिरफ्त से दूर बना हुआ है।
प्रिंस के परिजनों का कहना है कि प्रिंस एक छात्र है और उसका इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है। परिजनों और कतिया समाज ने इस मामले में पुलिस और प्रशासन को एक पखवाड़े पहले ज्ञापन सौंपकर मामले में गंभीरता से जाँच कराने और बेगुनाह को रिहा करने की माँग की थी। पुलिस ने दीपेश की दुकान में छापामार कर इस मामले के खुलासे का दावा किया था। बाद में इस मामले में प्रिंस को गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रिंस के पिता कृष्ण कुमार ग्रियाम ने मंगलवार की दोपहर से भूख हड़ताल आरंभ कर दी थी। बुधवार को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। बावजूद इसके शाम तक उनकी सुध लेने के लिये कोई नहीं पहुँचा जबकि धरना स्थल तहसील परिसर से लगा हुआ है। अनशन आरंभ करने के पहले भी उनके स्वास्थ्य की जाँच नहीं हुई।
पीड़ित के परिजनों का कहना है कि वे पखवाड़े भर पहले जिला प्रशासन को भी इस बात की सूचना दे चुके थे। बुधवार को देर शाम तक कोई प्रशासनिक अधिकारी संबंधित पक्ष से वार्ता करने के लिये नहीं पहुँचा है। परिजनों का कहना है कि यदि इस मामले में शीघ्र कोई सकारात्मक नतीज़ा नहीं निकलता है तो और दूसरे लोग भी एकादशी के बाद हड़ताल पर बैठ सकते हैं।

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