कहाँ क्लीनिकल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं प्रशिक्षु नर्सेस़!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। सिवनी जिले में एक दो नहीं बल्कि लगभग आधा दर्जन नर्सिंग कॉलेज़़ अस्तित्व में हैं। ये सारे के सारे नर्सिंग कॉलेज़़ नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्धारित मापदण्डों को धता बताते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की नाक के नीचे सिवनी जिले में धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं।
नई दिल्ली के ओखला फेज टू में कम्युनिटी सेंटर स्थित नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश के सिवनी सहित अनेक जिलों में नर्सिंग कॉलेज़ के फर्जीवाड़े की शिकायत नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया को मिली है।
सूत्रों ने आगे बताया कि नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के हिसाब से प्रशिक्षण के दौरान एक नर्स तीन बिस्तर के मरीज़ों के उपचार में सहायता कर क्लीनिकल प्रशिक्षण प्राप्त कर सकतीं हैं। इसके लिये कम से कम सौ बिस्तर का अस्पताल होना आवश्यक है जहाँ क्लीनिकल प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि जिला मुख्यालय सिवनी में संचालित इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय चार सौ बिस्तर का अस्पताल है, इसके अलावा जिंदल अस्पताल सौ बिस्तरों का है। सिवनी के अन्य चिकित्सालय सौ बिस्तरों से कम के हैं। वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर में महज़ चार अस्पताल ही सौ बिस्तर के हैं।
सूत्रों ने कहा कि सौ बिस्तर के अस्पताल में तैंतीस प्रशिक्षु नर्स क्लीनिकल प्रशिक्षण प्राप्त कर सकतीं हैं। सिवनी के मारूति इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग को जिंदल अस्पताल के द्वारा संबद्धता दी गयी है। इस कॉलेज़ की तीस नर्सेस़ तीन सालों तक जिंदल अस्पताल में क्लीनिकल प्रशिक्षण ले सकतीं हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि इसके अलावा जिंदल अस्पताल के द्वारा जीएसटी नर्सिंग कॉलेज़ को भी संबद्धता प्रदान करने की जानकारी मिल रही है। अगर ऐसा है तो यह नियमानुसार गलत है, क्योंकि सौ बिस्तर वाले अस्पताल से महज़ तैतींस नर्स को ही क्लीनिकल प्रशिक्षण की अनुमति है। इस कॉलेज़ में किसी भी संस्थान की महज़ तीस नर्सेस़ ही क्लीनिकल प्रशिक्षण ले सकतीं हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि सिवनी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्वारा इस बात की जाँच न किया जाना भी आश्चर्य जनक ही है कि एक अस्पताल किस तरह तैंतीस से ज्यादा नर्सेस़ को क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदाय किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि दरअसल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय का काम अधीक्षण (सुपरविज़न) का है पर सीएमएचओ कार्यालय में जमा कराये गये दस्तावेजों के मामले में कार्यालय बजाय इनका परीक्षण करने के महज़ डाकिया की भूमिका अदा करते हुए इन्हें अग्रेषित कर अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं।

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