नगर पालिका के साथ ही साथ जिला प्रशासन से भी मुझे शिकायत है जिसके द्वारा शहर के संपूर्ण चौक-चौराहों के साथ ही साथ नगर के हृदय स्थल कहे जाने वाले गांधी चौक तक की भी सुध नहीं ली जा रही है।
सही मायनों में देखा जाये तो व्यवस्था की दृष्टि से गांधी चौक सिर्फ नाम मात्र के लिये ही हृदय स्थल कहा जाता है। वर्तमान नगर पालिका और जिला प्रशासन इसे सम्हालने में पूर्णतः नाकाम ही रहा है। यही वह चौराहा है जो आकार में विशालकाय होने के बाद भी यहाँ से गुजरने वाले वाहन चालकों के साथ ही साथ पैदल राहगीरों के लिये भी परेशानी का सबब बनता है। सड़क पर पार्क किये गये दो पहिया और चार पहिया वाहन यातायात को जाम करते रहते हैं।
गांधी चौक में ही एक रिक्शॉ स्टैण्ड भी स्थित है और इसका बोर्ड आज भी यथावत लगा हुआ है लेकिन यहाँ पर ऑटो चालक अपने वाहन खड़े कर देते हैं। ऑटो चालकों के द्वारा यहाँ अपना वाहन खड़ा कर दिये जाने के कारण रिक्शे वालों और अन्य हाथ ठेले वाले दुकानदारों के बीच रोजाना ही कई-कई बार तू-तू मैं-मैं होती रहती है। उनकी यह बहस कभी भी गंभीर रूप धारण कर सकती है लेकिन प्रशासन को इसकी परवाह कतई नहीं दिखती है। ऑटो चालकों और हाथ ठेले वालों के बीच होने वाली रोजाना की बहस के कारण आसपास के स्थायी दुकानदार खासे परेशान हैं लेकिन वे इस संबंध में अपने आप को बेबस ही पाते हैं।
यदि इस क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग को ही व्यवस्थित, किसी तरह से कर दिया जाये तो काफी हद तक यहाँ से गुजरने वाले वाहन चालकों को राहत मिल सकती है। अभी होता यह है कि अहिंसा स्तंभ से सटाकर ही कई चार पहिया वाहन दिन भर पार्क कर दिये जाते हैं। जहाँ-तहाँ खड़े वाहनों और हाथ ठेले वालों ने इस चौक के सौंदर्य को पूरी तरह से समाप्त करके रख दिया है। गांधी चौक पर हाथ ठेले वालों के द्वारा अपनी दुकानों को इस तरह से सजाया गया है कि वे अघोषित डिवाईडर का रूप ले चुके हैं। इन दुकानों पर आने वाले ग्राहक सड़क पर ही अपना वाहन पार्क करने के लिये मजबूर हैं।
इसी क्षेत्र में बैंक जैसी संस्थाएं भी स्थित हैं जिनके पास स्वयं की कोई पार्किंग नहीं है। बैंक जाने वाले लोग अपने वाहनों को सड़क पर ही खड़ा करने के लिये मजबूर हो जाते हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र में कई स्थानों पर बेतरतीब वाहन स्टैण्ड नज़र आते हैं। लोग तो यहाँ तक चर्चा करने लगे हैं कि यदि गांधी चौक को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया जाना था तो इसका सीमेंटीकरण क्या हाथ ठेले वालों को अपनी दुकानें लगाने के लिये मात्र किया गया है। संबंधितों से अपेक्षा है कि शहर के मध्य स्थित इस स्थल को व्यवस्थित किया जाये।
यजुवेन्द्र युवी