वन विभाग के आला अधिकारियों का ध्यान इस स्तंभ के माध्यम से मैं इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि इन दिनों वन्य जीव लगातार ही आबादी वाले क्षेत्रों की ओर रूख कर रहे हैं जिसके कारण लोगों में दहशत व्याप्त है। वन्यप्राणी, ऐसे क्षेत्रों की ओर रूख क्यों कर रहे हैं इसकी ओर शीघ्र अतिशीघ्र ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को राहत मिल सके।
पहले गरीब किसान इस बात से परेशान थे कि जंगली जीव उनकी फसल को नुकसान पहुँचा दिया करते थे। इसकी शिकायत वे वन विभाग से कई बार कर भी चुके थे लेकिन उनकी समस्या का समाधान निकालने की दिशा में कभी कोई प्रयास होते हुए नहीं दिखे जिसका नतीजा यही रहा कि गरीब किसान, वन्य जीवों द्वारा खेतों में पहुँचायी गयी क्षति को सहने के लिये बाध्य बने रहे।
अक्सर ऐसी घटनाओं वाले क्षेत्र जंगल से सटे हुए होते थे, शायद इसलिये वन विभाग के द्वारा ऐसी घटनाओं को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। आज स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो चली है। ये जंगली जीव अब रिहायशी क्षेत्रों की ओर रूख करने लगे हैं जिनमें बाघ जैसे वन्य प्राणियों का भी समावेश है।
शाकाहारी प्राणी जहाँ किसानों की फसल को क्षति पहुँचा रहे थे वहीं अब माँसाहारी प्राणी इन किसानों के पालतू मवेशियों को ही अपना शिकार बनाने लगे हैं जिसके कारण निर्धन किसान, दोहरी मार झेलने के लिये मजबूर हो चले हैं। बाघ, तेंदुआ जैसे खतरनाक जीव सिर्फ मवेशी ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी घायल करने मेें कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। इन घायलों में से तो कुछ की मौत भी हो गयी लेकिन वन विभाग अपनी नींद से जागा हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है।
वन विभाग की निष्क्रियता के कारण ऐसा भी संभव है कि कुछ लोग इन वन्य जीवों के द्वारा पहुँचाये जाने वाले नुकसान से बचने के लिये उनका शिकार करके, मुसीबत से छुटकारा पाने का निर्णय ले लेते होंगे। खेतों में करंट फैलाकर रखने के कारण कई तरह की घटनाएं भी समाचार माध्यमों में जब तब पढ़ने को मिली हैं। ऐसे में वन विभाग को चाहिये कि वह इन बातों पर मंथन अवश्य करे कि जंगली प्राणी, जंगलों से बाहर निकलने के लिये क्यों मजबूर हो रहे हैं। यदि वन विभाग के द्वारा ऐसा किया जाता है तो आम लोग तो सुरक्षित होंगे ही, साथ ही किसानों को होने वाले नुकसान से भी उनको बचाया जा सकेगा और वन्य जीवों की अति महत्वपूर्ण संपदा को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।
अवधेश यादव

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.