(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सिवनी में जिलाधिकारी रहे वर्तमान में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त पी.नरहरि ने सामाजिक कार्यकर्त्ता लक्ष्मी कश्यप से चर्चा के दौरान कहा कि सिवनी शहर का दलसागर एक तालाब नहीं यह सिवनी का आभूषण है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता लक्ष्मी कश्यप इन दिनों दलसागर तालाब के संरक्षण के लिये प्रयासरत हैं। उन्होंने पी.नरहरि से आयुक्त कार्यालय में चर्चा के दौरान दलसागर की स्थिति पर चर्चा करते हुए दलसागर तालाब के प्रदूषण और सौंदर्यीकरण को लेकर 140 पेज की एक विस्तृत सचित्र रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी।
उन्होंने आयुक्त को बताया कि 13वीं अथवा 14वीं सदी में गोंडवाना साम्राज्य के शासनकाल में वीरांगना रानी दुर्गावती के द्वारा निर्मित कराये गये इस दलसागर तालाब का रखरखाव उचित तरीके से न किये जाने के कारण अब यह दुर्दशा का शिकार हो चुका है। इसके संरक्षण के लिये इसके पहले भी लगभग सात आठ साल पहले सवा करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं।
उन्होंने आयुक्त से अपील की है कि दलसागर तालाब को राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी धरोहर के रूप में पहचान दिलाने का प्रयास किया जाये। इसके साथ ही साथ इस तालाब में जल क्रीड़ाओं की विकास खण्ड स्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं।
सामाजिक कार्यकर्त्ता लक्ष्मी कश्यप ने आयुक्त पी.नरहरि को बताया कि दलसागर तालाब के प्रदूषित होने का बड़ा कारण यहाँ नाले नालियों का पानी इसमें समाहित होना है। इसके अलावा आसपास के दुकानदारोें के द्वारा अपने कचरे को दलसागर तालाब में फेंका जाता है।
उन्होंने आयुक्त को यह भी बताया कि दलसागर के मुहाने पर रोज ही दसियों वाहन धुलते हैं। वाहनों के धुलने के कारण इन वाहनों का कीट, ऑईल और अन्य गंदगी भी दलसागर तालाब के अंदर समा रही है। यहाँ की शराब दुकान के आसपास मयज़दों के द्वारा उपयोग में लाये गये डिस्पोज़ेबल ग्लासेस, नमकीन के पैकिट्स यहाँ तक कि शराब की बोतलों को भी इसमें फेंक दिया जाता है, जिसके कारण यह तालाब प्रदूषण का शिकार हो रहा है। उन्होंने बताया कि आयुक्त पी.नरहरि के द्वारा दलसागर एवं सिवनी जिले को लेकर एक वीडियो संदेश में अपील भी की गयी है।

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