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क्षेत्रीय संचालक स्तर के अधिकारी वाले दल के सामने कोशिश है अव्वल आने की!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। प्रदेश भर में चल रहे ऑपरेशन कायाकल्प के तहत पहले चरण में टीम ए के निरीक्षण में इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय को 100 में से 86 अंक मिलने पर अस्पताल प्रशासन फूला नहीं समा रहा है। अस्पताल के अंदर मानो जश्न का माहौल है, इसका कारण यह है कि पहली बार सिवनी का अस्पताल टॉप टेन में स्थान पा सका है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कायाकल्प अभियान के तहत दो चरणों में अस्पतालों का निरीक्षण कराये जाने का प्रावधान है। इसके तहत अगर किसी अस्पताल के द्वारा टीम ए के निरीक्षण में सत्तर फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किये जाते हैं तो उसके बाद क्षेत्रीय संचालक स्तर के अधिकारी के नेत्तृत्व वाली टीम बी के द्वारा एक बार फिर उन्हीं मानकों, जिनके आधार पर टीम ए के द्वारा निरीक्षण करने के बाद अंक प्रदाय किये गये हैं, सर्वेक्षण किये जाने का प्रावधान है।
सूत्रों ने बताया कि टीम बी के द्वारा किया जाने वाला सर्वेक्षण थोड़ा मुश्किल होता है। इसमें क्षेत्रीय संचालक स्तर के अधिकारी दल का नेत्तृत्व करते हैं इसलिये इस मामले में बहुत ही बारीकी से समस्त व्यवस्थाओं और निरीक्षण के बिन्दुओं का अवलोकन किया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि अभी टीम बी के आने में समय बाकी है इसलिये अस्पताल प्रशासन के द्वारा अगर अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को टीम बी के आने के पहले रिहर्सल और होम वर्क कराया जाकर जिन पहलुओं में टीम ए के द्वारा अपेक्षाकृत कम अंक प्रदाय किये गये हैं, उन पर ध्यान देकर उनमें सुधार कर लिया जाता है तो निश्चित तौर पर कायाकल्प अभियान में सिवनी का जिला अस्पताल टॉप फाईव में अपना स्थान बना सकता है।
सूत्रों ने कहा कि अस्पताल प्रशासन को अभी अपनी पीठ थपथपाने की आवश्यकता शायद नहीं है, क्योंकि टीम ए के निरीक्षण में अस्पताल प्रशासन को बार – बार पाबंद करने के लिये जिलाधिकारी प्रवीण सिंह का मोटीवेशन प्रमुख कारक के रूप में सामने आया है। अब टॉप फाईव में स्थान बनाने के लिये अस्पताल प्रशासन को और अधिक मेहनत की आवश्यकता है।
सूत्रों ने बताया कि टीम ए के निरीक्षण को अस्पताल प्रशासन के द्वारा अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के रूप में लिया जाना चाहिये। इसमें विभिन्न विषयों में प्राप्ताकों में जिन-जिन विषय में प्राप्तांक कम हैं उन विषयों पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर अस्पताल प्रशासन के द्वारा इस ओर ध्यान दिया जाये तो सिवनी का अस्पताल प्रदेश में प्रथम आ सकता है और तब किसी को आश्चर्य भी नहीं होना चाहिये।
सूत्रों ने इस बात के संकेत भी दिये हैं कि अस्पताल प्रशासन को चाहिये कि सफाई और सुरक्षा के लिये आउट सोर्स की गयी कंपनियों पर निहित स्वार्थ को तजकर पूरी ईमानदारी और कड़ाई बरती जाये, क्योंकि इन एजेंसियों को उनके काम के एवज़ में भुगतान किया जा रहा है। अगर अस्पताल प्रशासन ऐसा करता है तो निश्चित तौर पर इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।

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