मुझे शिकायत वन विभाग से है जिसके द्वारा वनग्राम के निवासियों को अकारण भटकाया जा रहा है।
नान्ही कन्हार भी वनग्राम है। इस वनग्राम के लोगों को लगभग एक वर्ष से उनके द्वारा किये गये कार्यों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। वन विभाग के द्वारा नर्सरी के लिये काम तो इन लोगों से करवा लिया गया लेकिन उनका पारिश्रमिक उन्हें अब तक दिया गया है। ऐसे में लोगों के समक्ष रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
इस वनग्राम के कई लोग अब बाहर जाकर मजदूरी करने के लिये विवश कर दिये गये हैं। अधिकांश लोग नागपुर जाकर रोजी रोटी की व्यवस्था कर रहे हैं। यदि इन लोगों को वन विभाग के द्वारा भुगतान कर दिया जाता तो संभव था कि वे अपने गाँव मेें रहकर ही रोजी रोटी की व्यवस्था कर देते लेकिन ऐसा हो नहीं सका और लोग अपने परिवार से दूर हो गये हैं।
कई लोगों के पास खेती करने के लिये भूमि भी है लेकिन मजदूरी का भुगतान न किये जाने के कारण ये लोग खेती के लिये बीज भी नहीं खरीद पा रहे हैं जिसके कारण उनके लिये खेत का होना या न होना, दोनों ही एक समान हो गया है। खेती के लिये पानी की आवश्यकता होती है लेकिन वन विभाग के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण इस क्षेत्र में एक तालाब भी अब तक निर्मित नहीं करवाया जा सका है।
नान्ही कन्हार को जब वनग्राम घोषित किया गया था तब यहाँ के लोगों में उत्साह का एक नया संचार हुआ था कि अब उनके बुरे दिन बीत जायेंगे और वे भी अन्य सामान्य ग्रामों की तरह विकास के रास्ते पर चल पड़ेंगे लेकिन वन विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली के कारण लोगों में अब निराशा घर चुकी है। लोग सामान्य दिनों में भी पलायन के लिये मजबूर कर दिये गये हैं।
अपना भुगतान पाने के लिये मजदूरों के द्वारा वन विभाग के चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहे हैं लेकिन हर बार उन्हें तरह-तरह के कारण बताकर भुगतान देने के लिये भटकाया ही जा रहा है। सोचने वाली बात यह है कि कोई मजदूर यदि वन विभाग के चक्कर ही लगाता रहेगा तो वह अपनी रोजी रोटी के लिये कहाँ से व्यवस्था बना पायेगा। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि उसके द्वारा वन विभाग को निर्देश दिये जायेंगे कि वनग्राम के मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान अविलंब किया जाये ताकि वनग्राम के वाशिंदे भी चैन से जीवन जी सकें।
एक वनग्राम वासी

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