शालेय वाहनों में नहीं है फर्स्ट एड की सुविधा!

 

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। शासन के द्वारा बार – बार चेताये जाने के बावजूद सिवनी के यात्री वाहनों खासकर शालेय वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स न होना चिंताजनक माना जा सकता है। शालेय परिवहन वाले वाहनों में फर्स्ट एड की सुविधा है अथवा नहीं, इस बारे में शायद ही कभी जाँच की गयी हो।

गौर करने वाली बात यह है कि सिवनी में ज्यादातर निज़ि स्कूल शहर की सीमा से बाहर स्थित होते जा रहे हैं। ऐसे शिक्षण संस्थानों मे अध्ययन करने के लिये विद्यार्थियों को ज्यादातर किराये के वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। नियमानुसार इन वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स का उपलब्ध होना अत्यंत आवश्यक है लेकिन संबंधित विभागों का इस ओर ध्यान न होने के कारण ज्यादातर स्कूल संचालक भी अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा की ओर से लापरवाह बने नज़र आ रहे हैं। इसके चलते अभिभावकों के मन में अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता हमेशा ही बनी रहती है।

मजे की बात तो यह है कि संबंधित विभाग, जिनके द्वारा इस नियम का पालन करवाया जाना है कि वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स हमेशा उपलब्ध रहे के द्वारा ध्यान न दिये जाने के साथ ही साथ शालाओं के संचालकों के द्वारा भी इस ओर कोई ध्यान न दिये जाने के कारण ज्यादातर स्कूली वाहनों से फर्स्ट एड बॉक्स नदारद ही हैं। विद्यार्थियों को शाला लाने और वहाँ से वापस ले जाने वाले ऑटो में इस तादाद में विद्यार्थी बैठे होते हैं कि उनमें जब विद्यार्थियों का बस्ता रखने के लिये ही रिक्त स्थान नहीं होता है तब उन ऑटो में फर्स्ट एड बॉक्स की उपलब्धता की कल्पना ही बेमानी हो जाती है।

जानकारों का कहना है कि यात्री और शालेय वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स की उपलब्धता का एक फायदा यह भी होता है कि भले ही उक्त वाहन के साथ कोई दुर्घटना न घटी हो लेकिन रास्ते में यदि कोई घायल मिलता है तो उसे प्राथमिक उपचार मौके पर ही उपलब्ध करवाया जा सकता है।

आवश्यकता इसी बात की है कि शालेय परिवहन अथवा यात्री वाहनों के संचालकों को चाहिये कि प्रशासन भले ही लापरवाह बना हुआ है लेकिन उन वाहन संचालकों के द्वारा कर्त्तव्यनिष्ठा दिखाते हुए अपने वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा मुहैया करवायी जाये भले ही उसकी आवश्यकता पड़े अथवा नहीं।

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