(प्रकाश भटनागर)
यूं तो इसे प्याज का पहला छिलका उतरने वाली संज्ञा दी जाती है, लेकिन संदर्भ से जुड़ कर कहना चाहे तो कह सकते हैं कि यह तहमद की पहली चुन्नट खुलने जैसा है। जो करतूत है और जिनका किया-धरा है, उनके लिए हल्के लहजे का प्रयोग न्यायसंगत होने की हद तक तर्कसंगत सा है। मध्यप्रदेश के हनीट्रैप में नये खुलासे हुए हैं। वह चेहरे बेनकाब कर दिये गये हैं, जो इस कांड के शिकारी से लेकर शिकार तक की श्रेणी वाले लोग हैं। हमाम की दीवार में हुआ नया सुराख गौरतलब है। यह लंगोट सहित चरित्र के ढीलों की नंगी तस्वीर सामने रख रहा है। जो अफसर हनी में लिपटे प्रकट हुए, जिन्होंने एक तगड़ा माल देकर जान छुड़ायी तो नंगे पत्रकार बिरादरी के वे नामी उस्ताद भी हो गये, जिन्होंने इस पवित्र पेशे की मर्यादा का शील भंग करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। वे मीडिया की बजाय मंडीकर्मी के रूप मेंं एक्सपोज हो चुके हैं
जिस्म की मंडी में एक अखबार मालिक सहित टी वी चैनल के पत्रकार, दलाल से लेकर ब्लैकमेलर के रूप में सामने आ चुके हैं। दो दिग्गज मंत्रियों के यहां पदस्थ अफसर जो उनके ओएडी कहे जाते थे, अब पता चला है कि दोनों ही विषकन्याओं के लिए ओ यस जी की भूमिका तक ही सिमट कर रह गये थे। सीआईडी द्वारा तैयार चालान में जिन कारनामों एवं कारनामेबाजों का खुलासा किया गया है, वह हांडी के चावलों मेंं से कुछ ही हैं। श्वेता विजय जैन, आरती दयाल और श्वेता स्वप्निल ने जिस तरह बड़ी मछलियों को फांसा, उससे साफ है कि इस मंजिल तक पहुंचने में कई ऊंचे लोगों का साथ उन्हें मिला ही होगा। छतरपुर में स्थानीय नेता तथा वहां के टीआई इसका उदाहरण हैं। एक स्थानीय नेता के फॉर्म हाउस पर उसके और दो दोस्तों के वीडियो बनाये गये थे, लेकिन टीआई के हस्तक्षेप के चलते आरती दयाल इन दोनों को ब्लैकमेल नहीं कर सकी।
अब अगर पुलिस का यह अफसर पाक-साफ था तो क्यों नहीं उसने पुलिस में इसकी शिकायत की? जाहिर है कि ऐसे बहुत से अन्य नाम भी ऐसे मामलों से जुडकर शिकार तथा शिकारी के बीच मध्यस्थता में अहम भूमिका निभा चुके हैं। इस कॉलम में पहली भी कह चुका हूं कि हनी ट्रैप में फंसे हरेक नाम का खुलासा होना बहुत जरूरी है। जो ब्लैकमेल हुए, वो भी बेगुनाह नहीं हैं। इसलिए उन्हें किसी किस्म का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए। बल्कि उनकी जांच कर यह पता लगाया जाना चाहिए कि श्वेता, आरती और श्वेता स्वप्निल ने उनके पद तथा रसूख का लाभ उठाकर उनसे क्या-क्या गलत काम कराए। सीआईडी के चालान में साफ लिखा है कि इस तिकड़ी ने ब्लैकमेल कर तबादलों और पोस्टिंग का खेल भी खेला है। तो तय मानिए कि मामला महज तबादलों तक सीमित नहीं रहा होगा।
ब्लैकमेलिंग के शिकार लोगों ने और भी गलत काम करके हनी ट्रैप के कर्ताधर्ताओं की गलत तरीके से सहायता की ही होगी। इसलिए अब यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। इसकी वजह यह भी कि सीआईडी ने उन कई नामों की तरफ देखने तक का जतन नहीं किया है, जिनकी इस कांड में संलिप्तता वाले कई आॅडियो तथा वीडियो हाल ही में वायरल हो चुके हैं। ऐसे लोगों पर भी यदि कार्रवाई नहीं की गयी तो तय मानिए कि छोटी-छोटी मछलियां ही जाल में फंसेंगी और बड़े मगरमच्छ साफ बचकर निकल जाएंगे। यदि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की तरह व्यापमं घोटाले का दाग अपने माथे पर गुदवाना नहीं चाहते तो उन्हें चाहिए कि केंद्रीय एजेंसी के हवाले इस मामले की जांच कर यह जता दें कि उनकी नीयत किसी गलत को बचाने की नहीं है।
खैर, अदालत में पेश इस चालान ने कई दिन बाद राज्य के मीडिया को चैतन्य होने का अवसर दे दिया। वरना तो इंदौर के जीतू सोनी घटनाक्रम के बाद ऐसी दहशत मची कि मीडिया ने हनी ट्रैप के बारे में बोलना तो दूर, सोचना तक बंद कर दिया था। सोनी पर सरकारी कार्रवाई का कहर यूं बरपा कि खोजी पत्रकारिता पर पूरी तरह विराम लग गया। हालांकि जीतू सोनी खोजी पत्रकारिता भी ब्लैकमेलिंग का ही एक खेल था। मीडिया केवल तक कुछ बोल सका, जब उसके पास इस दलील की शक्ति आ गयी कि वह सीआईडी के चालान के आधार पर ही खुलासे कर रहा है। जस की तस धर दीनी चदरिया वाले हालात लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जर्जर हालतको बयान करने के लिए काफी हैं। यह जताते हैं कि मीडिया इतना कमजोर हो चुका है कि बाहरी तो दूर, अपने भीतर तक की गंदगी के खिलाफ आवाज उठाना उसके बूते में नहीं रह गया है। यह एक अवसर था कि इस कांड में शामिल हमपेशाओं का पूरी क्रूरता के साथ खुलासा कर जता दिया जाता कि इस पेशे की पवित्रता कायम रखने के लिए जरूरी एकजुटता आज भी बाकी है। ऐसा होता नहीं दिख रहा। हम अपनी रीढ़ की मजबूती खो चुके हैं। वो भी कुछ ऐसे अंदाज में कि लंगोट तथा चरित्र, दोनों ही किस्म के कमजोर हमें डराने में सफल रहे हैं।
(साई फीचर्स)

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.