ब्रांडेड से भी महंगे मिल रहे स्वेटर, ब्लेजर!

 

स्कूल का मोनो लगते ही आसमान छूने लगते हैं गणवेश के दाम!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सर्दी का आगाज़ हो चुका है। सुबह सवेरे शाला जाने वाले विद्यार्थियों को अब स्वेटर या ब्लेज़र की आवश्यकता महसूस होने लगी है। इसके चलते निज़ि स्कूलों में ऊनी यूनिफॉर्म की डिमाण्ड होने लगी है।

अभिभावकों का आरोप है कि अभिभावकों को स्वेटर या ब्लेज़र का न तो कलर बताया जा रहा है न डिजाईन। बस उन्हें दुकान का नाम बताया जा रहा है, जहाँ से उन्हें यह खरीदना है। जिले भर के निज़ि स्कूलों के गणवेश या ब्लेज़र, स्वेटर मिलने की निश्चित दुकानें तय हैं।

बीते साल बरघाट में एक निज़ि शाला में सोशल मीडिया पर एक दुकान विशेष से स्वेटर ब्लेज़र लेने की बात वायरल होने के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही शिक्षा विभाग के द्वारा नहीं की गयी थी। हर साल की तरह इस साल भी शालाओं में गणवेश के साथ ब्लेज़र, स्वेटर या अन्य गर्म वस्त्रों को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा कड़ा रूख न अपनाये जाने के चलते अभिभावक लुटने पर मजबूर हैं।

अभिभावकों की मानें तो दुकान विशेष से उन्हें ब्लेज़र या स्वेटर लेने पर इसलिये मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि शाला के मोनो लगे ब्लेज़र या स्वेटर किसी अन्य दुकानों पर मिल ही नहीं रहे हैं। अब अभिभावकों के सामने यह समस्या आन खड़ी हुई है कि दुकानदारों के द्वारा बतायी गयी कीमत पर ही उन्हें स्वेटर और ब्लेज़र लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

अभिभावकों के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार अभिभावकों को साधारण क्वॉलिटी के स्वेटर और ब्लेज़र्स को ब्रांडेड से अधिक कीमत पर खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस तरह की खुली लूट की ओर किसी का ध्यान नहीं है। स्कूलों और दुकान संचालकों के बीच कमीशन के खेल में अभिभावक बेवजह लुट रहे हैं।

इन दिनों स्कूलों में बच्चों के लिये फुल पैंट व शर्ट, ब्लेज़र, हाफ व फुल स्वेटर और ट्रेक सूट की डिमाण्ड हो रही है जबकि, इसके लिये जिला शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी बनी है। इस समिति के द्वारा पिछले चार पाँच सालों में शायद ही एकाध प्रतिष्ठान में जाकर जाँच की गयी हो।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हर साल डीईओ की ओर से स्कूलों को पत्र लिखकर रस्म अदायगी कर ली जाती है, इसके बाद भी यह गोरखधंधा बदस्तूर ही जारी रहता है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, हर साल कॉपी किताबों, यूनिफॉर्म आदि को लेकर ऐसी स्थिति बनती है।

स्कूल का मोनो लगने से दोगुना दाम : एक प्रतिष्ठान संचालक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि बाज़ार में विद्यार्थियों का साधारण स्वेटर 200 से 400 रूपये में मिल रहा है, जबकि स्कूल मोनो लगने के बाद दाम दोगुना हो जाता है। इसके अलावा स्वेटर या ब्लेज़र में स्कूल यूनिफॉर्म के कलर की पट्टियां लगायी जा रही हैं, जिसके कारण भी दाम बढ़ रहा है।

स्कूल का मोनो लगने से साधारण कपड़े बन जाते हैं ब्रांडेड : उक्त दुकान संचालक का कहना था कि किसी भी साधारण ऊनी कपड़े के स्वेटर या ब्लेज़र पर स्कूल का मोनो लगने से वह ब्रांडेड कपड़ों से भी महंगा मिल रहा है। स्कूल संचालकों द्वारा निर्धारित दुकानों के नाम बताये जा रहे हैं। इन दुकानों से ड्रेस खरीदने पर कमीशन का हिस्सा स्कूल संचालकों के पास भी जाता है।

यह है हालत : आलम यह है कि बाज़ार में दो से चार सौ में मिलने वाला स्वेटर मोनो लगने के बाद पाँच से आठ सौ, बाज़ार में आठ सौ से एक हजार रूपये के बीच मिलने वाला ब्लेज़र मोनो लगने के बाद 1400 से 1800 रूपये तक बिक रहा है। इसके आलवा शाला के विद्यार्थियों को शाला में चार या पाँच समूहों में बाँटा गया है।

हर विद्यालय के विद्यार्थियों को सप्ताह में एक दिन उस समूह के लिये निर्धारित रंग के ट्रेक सूट को पहनकर जाना होता है। इस तरह बाज़ार में छः सौ से आठ सौ रूपये में मिलने वाला ट्रेक सूट 1200 से 1600 के बीच मिल रहा है तो फुल पैंट, शर्ट व स्वेटर जो महज़ 1000 से 1200 रूपये में उपलब्ध है वह 1400 से 2000 रूपये में बिक रहा है।

 

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