यातायात का सिपाही तैनात मतलब कोई व्ही.व्ही.आई.पी. आ रहा होगा!

 

जिले के अव्यवस्थित यातायात के संबंध में मैं इस स्तंभ के माध्यम से अपना सुझाव देना चाहता हूँ।

बिगड़ैल यातायात से जिला मुख्यालय भी नहीं बच सका है, दूरस्थ अंचलों की बात तो दूर ही है। एक प्रकार से यह कहा जाये कि भगवान भरोसे ही जिले में यातायात संचालित हो रहा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिला मुख्यालय में तो यह स्थिति है कि न तो यहाँ यातायात के सिग्नल्स ही चालू हैं और न ही यातायात के सिपाही ही यहाँ के चौराहों पर तैनात दिखायी देते हैं।

ज्यादा दूर की बात न भी की जाये तो सिवनी के समीपस्थ जिला मुख्यालयों के जिन प्रमुख चौराहों पर यातायात के सिग्नल नहीं भी लगे हैं वहाँ यातायात के सिपाही सीटी बजाकर ही पूर्ण दक्षता के साथ यातायात को नियंत्रित करते देखे जा सकते हैं, दूसरी तरफ सिवनी के चौराहों पर यातायात के सिपाही को देखा जाना अत्यंत दुर्लभ ही होता है, सीटी की आवाज से यातायात को नियंत्रित करने की कला शायद सिवनी के यातायात विभाग को ही नहीं आती है।

लाखों की आबादी वाले इस जिले के मुख्यालय में छोटे-छोटे चौराहों पर यातायात किस तरह से नियंत्रित हो रहा होगा, इसकी कल्पना भी अन्य जिलों के लोग नहीं कर सकते होंगे। सिवनी में स्थिति यह है कि यदि कभी कोई यातायात विभाग का सिपाही चौराहों पर तैनात दिखायी दे जाता है तो लोग समझ जाते हैं कि कोई व्ही.व्ही.आई.पी. आ रहा होगा अथवा आ रहा होगा। सामान्य स्थिति में यातायात विभाग के ये सिपाही किस कार्य में व्यस्त हो जाते हैं, इसकी कोई जानकारी किसी को भी नहीं है।

सिवनी में जब-तब खाकी वर्दी धारियों के द्वारा वाहनों की चैकिंग आरंभ कर दी जाती है। मेरा सुझाव यही है कि यातायात विभाग अपना मूल कार्य छोड़कर यदि दीगर कार्यों में अपने आप को उलझाये हुए है तो बेहतर होगा कि खाकी वर्दी धारी सिपाहियों के हाथ में ही चौक चौराहों की कमान सौंप दी जाये ताकि लोगों को राहत मिल सके।

करीम बाबा

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