बारिश में बहते किसानों के अरमान!

 

(शरद खरे)

किसान को देश का अन्नदाता यूँ ही नहीं कहा गया है। कड़कड़ाती सर्दी हो, चिलचिलाती धूप या मेघों का रूदन, हर मौसम में खेतों में दिन रात मेहनत कर किसान के द्वारा फसल को उगाया जाता है। फसल जब लहलहाती है तो किसान का मन उसी तरह प्रफुल्लित हो उठता है जैसा अपनी औलाद को देखकर वह आल्हादित होता है।

अब सोचिये अगर उसी किसान की फसल उसकी आँखों के सामने ही पानी में बह जाये तो उस पर क्या बीतेगी! यह सब कुछ सिवनी मंे हुआ है। सिवनी में 31 दिसंबर के बाद हो रही असमय बारिश में किसानों की धान उसकी आँखों के सामने बह गयी। सियासत करने वाले इस पर सियासी रोटियां सेकने का प्रयास करेंगे पर इससे किसान के रिसते घावों पर मरहम शायद ही लग पाये।

जिले भर में सरकारी खरीद के लिये उपार्जन केंद्र बनाये गये हैं। इन उपार्जन केंद्रों में किसानों की सुविधाओं का किंचित मात्र भी ख्याल न रखा जाना आश्चर्य जनक ही माना जायेगा। इतना ही नहीं इन उपार्जन केंद्रों में धान को पानी से बचाने के माकूल प्रबंध न किया जाना भी किसानों के हितों के विपरीत ही माना जायेगा।

ऐसा नहीं है कि यह पहली मर्तबा हुआ है। हर साल गेहूँ और धान खरीद के समय एवं इनके संग्र्रहण के उपरांत इन्हें रखे जाने के दौरान इस तरह की घटनाएं सालों से प्रकाश में आ रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों के द्वारा किसी तरह का कदम नहीं उठाया जा रहा है।

और तो और जिला प्रशासन के द्वारा भी अब तक इस मामले में जाँच आहूत न किया जाना भी आश्चर्य का ही विषय है। खरीद केंद्र के द्वारा किसान के मोबाईल पर कब संदेश भेजा गया! कब उसकी जिन्स (धान या गेहूँ) को खरीदा गया! अगर नहीं खरीदा गया तो क्यों! उपार्जन केंद्र में किसानों के लिये किस तरह की व्यवस्थाएं की गयीं हैं! किसानों की सहूलियत के लिये कैंटीन आदि की क्या व्यवस्था है! अगर बारिश आ जाये तो किसानों की जिन्स और खरीदी गयी धान या गेहूँ को रखने की क्या व्यवस्था है जैसे अनेक मुद्दे हैं, जिस पर खरीद केंद्र आरंभ होते ही विभागीय अधिकारियों सहित प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को निरीक्षण कर लिया जाना चाहिये था।

गत दिवस अरी में बारिश के चलते किसानों की दो सौ क्विंटल से ज्यादा धान पानी के साथ नाले में बह गयी बतायह जा रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति मीना बिसेन ने भी इसका निरीक्षण किया है। कुछ दिनों पहले ही सांसद डॉ.ढाल सिंह बिसेन और बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया के द्वारा कुछ केंद्रों का निरीक्षण किया गया था। इसके बाद भी अगर इस तरह किसानों की मेहनत और अरमान पानी में बहंे तो यह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है। संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही कर किसानों के रिसते घावों पर मरहम लगाने के मार्ग प्रशस्त करें।

 

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