चाय की पत्ती के पैकेट में छिपकली!

 

(शरद खरे)

मध्य प्रदेश में शुद्ध के लिये युद्ध की तर्ज पर खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण, अमानक खाद्य पदार्थ आदि पर कार्यवाहियां युद्ध स्तर पर की जा रही हैं। गलत काम करने वालों पर रासुका की कार्यवाही भी की जा रही है। सिवनी जिले में भी इस तरह की कार्यवाहियां प्रचलन में हैं।

इसी बीच यह खबर चौंकाने वाली है कि छपारा में मोहनी कंपनी की चाय पत्ती के सील बंद पैकेट के अंदर एक मरी हुई छिपकली निकली है। छपारा में एक उपभोक्ता के द्वारा चाय पत्ती का पैकेट खरीदकर ले जाया गया और उसमें मरी हुई छिपकली निकली। उसके द्वारा इसकी जानकारी दुकानदार और संबंधित अधिकारियों को भी दी गयी। इसके बाद भी अब तक इस मामले में किसी तरह की कार्यवाही की खबर न आना आश्चर्य का ही विषय माना जायेगा।

देखा जाये तो ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों पर लोग भरोसा करते हैं। इसका कारण यह है कि ब्रांडेड कंपनी कभी भी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करती हैं। ब्रांडेड कंपनियों के द्वारा उत्पादों विशेषकर खाद्य उत्पादों में कई स्तर के चेक प्वाईंट लगाये जाते हैं, क्योंकि यह मामला सीधे-सीधे नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा रहता है।

दिल्ली में मदर डेयरी के द्वारा बनाये जाने वाले सोयाबीन के धारा नामक ब्रांड के बारे में कहा जाता है कि सोयाबीन तेल खरीदने के पहले कंपनी के द्वारा गुणवत्ता का इतना ध्यान रखा जाता है कि कई टैंकर्स को पहली ही जाँच में अमानक करार दे दिया जाता है। यह बताने का उद्देश्य महज इतना ही है कि कंपनियों के द्वारा मानव स्वास्थ्य के साथ जानबूझकर तो खिलवाड़ किया जाने से रहा।

सिवनी में मिले इस मामले को जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग को गंभीरता से लेना चाहिये। हो सकता है प्रशासन इस बात को गंभीरता से ले भी रहा हो। छिपकली विषैली होती है इस बात से कोई अनभिज्ञ नहीं है। अगर एक पैकेट में मरी छिपकली निकली है तो जाहिर है कि इसका प्रभाव उस लॉट पर भी पड़ा होगा जिस लॉट में इस पैकेट को पैक किया गया हो!

इस लिहाज से जिस लॉट में यह चाय पत्ती पैक की गयी थी, उस लॉट को ही निरस्त करने की कार्यवाही करते हुए इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाना चाहिये, ताकि दुकानदार भी मोहनी कंपनी की चाय पत्ती के इस लॉट की चाय पत्ती को बेचने की बजाय उसको नष्ट करें। इसके लिये प्रशासन को सामने से लॉट के विनिष्टीकरण की कार्यवाही को अंजाम दिया जाना चाहिये। कम से कम सिवनी में तो यह काम किया ही जा सकता है।

संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के नेत्तृत्व में जिला प्रशासन के द्वारा शुद्ध के लिये युद्ध मुहिम का आगाज कुछ महीनों पहले किया गया है। इसलिये उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वे ही स्वसंज्ञान से इस कार्यवाही को अंजाम देने के लिये खाद्य एवं औषधि प्रशासन के साथ ही साथ खाद्य विभाग एवं स्थानीय निकायों को इसके लिये पाबंद अवश्य करें।

 

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