किसानों की जमीन लेकर नहीं दी नौकरी, जिन्हें दी नहीं दे रहे पीएफ!
(संतोष बर्मन)
घंसौर (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड के द्वारा आदिवासी बाहुल्य घंसौर क्षेत्र के बरेला में संस्थापित किये जाने वाले कोल आधारित पॉवर प्लांट की वायदा खिलाफी के कारण किसानों में रोष और असंतोष चरम पर पहुँचता दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि पॉवर प्लांट प्रबंधन के द्वारा लगभग 175 किसानों से इस संयंत्र की संस्थापना के लिये जमीन ली गयी थी। यह जमीन संयंत्र प्रबंधन के द्वारा इस शर्त पर ली गयी थी कि संयंत्र के द्वारा इन किसानों के परिवार के एक सदस्य को संयंत्र में नौकरी दी जायेगी।
किसानों ने बताया कि इन 175 किसानों में से 65 किसानों के परिवार आज भी नौकरी के लिये तरस रहे हैं। वहीं, शेष बचे किसानों को नौकरी तो दी गयी है किन्तु चार साल बीतने के बाद भी उनका प्रॉवीडेंड फण्ड जमा नहीं कराया गया है।
किसानों का कहना है कि घंसौर से बरेला तक एवं उन मार्गों का जिन पर पॉवर प्लांट के डंपर आवागमन करते हैं संधारण संयंत्र प्रबंधन को करना चाहिये था। संयंत्र प्रबंधन के द्वारा ध्यान न दिये जाने के कारण क्षेत्र की सड़कों के धुर्रे उड़े हुए हैं और संयंत्र प्रबंधन को इससे सरोकार प्रतीत नहीं हो रहा है।

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