(ब्यूरो कार्यालय)
ग्वालियर (साई)। शहर के एजी ऑफिस पुल की जमीन पर 23 साल बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना दावा पेश किया है। सरकार से मुआवजे के 7 करोड़ 55 हजार रुपए की मांग की है। यह दावा अपर सत्र न्यायालय में लंबित है। महलगांव हलका सर्वे क्रमांक 1071, 1072, 1073 जमीन पर दावा करने के लिए सिंधिया ने कमलाराजे चेरिटेबल ट्रस्ट के विजय सिंह फालके को अधिकृत किया है। उनकी ओर से ही दावा पेश किया गया है।
दावे में तर्क दिया है कि वादी की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। शासन ने वादी की भूमि पर अतिक्रमण किया है। जिस पर वादी ने आपत्ति की थी। इसके जवाब में अनुविभागीय अधिवकारी ने 16 सितंबर 1995 को आपत्ति का जवाब देते हुए कहा कि ट्रस्ट की भूमि पर न तो कोई कब्जा है और न अतिक्रमण किया गया। दावे में तर्क दिया है कि लोक निर्माण विभाग ने जो सड़क का निर्माण किया है, उसमें निजी भूमि भी चली गई है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जाए, ताकि जमीन का मुआवजा मिल सके। वादग्रस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाए जाएं। ट्रस्ट की ओर से दावा 4 जून 2018 में पेश किया गया है। फिलहाल यह दावा जिला न्यायालय में लंबित है। मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग, कलेक्टर, तहसीलदार को दावे में प्रतिवादी बनाया है।
1971 में हुआ था ट्रस्ट का गठन, माधवीराजे हैं चेयरमैन
31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। उन्होंने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। वर्तमान में इस ट्रस्ट की चेयरमैन माधवीराजे सिंधिया हैं। ट्रस्टी पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं।
तीनों सर्वे नंबर से निकली है सड़क
महलगांव के सर्वे क्रमांक 1071, 1072, 1073 खसरों में शासकीय दर्ज है। लैड रिकॉर्ड की साइट पर तीनों सर्वे क्रमांक का स्टेट्स शासकीय दर्ज है। खसरे में पीडब्ल्यूडी का आम रास्ता लिखा हुआ है।
मिसिल बंदोबस्त में दर्ज स्थिति से ही जमीन का मालिकाना हक तय होता है। मिसिल बंदोबस्त संवत 1997 सर्वे क्रमांक 1071 में 10 विश्वा जमीन, 1072 में 1 बीघा 4 विश्वा जमीन, 1073 में 4 विश्वा जमीन रेल की पटरी, सड़क, बंजर के नाम से दर्ज है।

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