शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर मची रार!

 

तबादलों के बाद संशोधित सूची जारी करने में आ रहा पसीना!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। परीक्षाएं नज़दीक आने के बाद अब शिक्षकों के हाल ही में हुए तबादलों में संशोधन कराने वाली की बड़ी तादाद दिखायी दे रही है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को तबादला सूची के बाद संशोधित तबादला सूची जारी करने में पसीना आता दिख रहा है।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शैक्षणिक सत्र के बीच में शिक्षकों के तबादलों का कोई औचित्य नहीं था। बीच सत्र में शिक्षकों के किये गये तबादलों के बाद भी शिक्षकों के संघों सहित काँग्रेस और भाजपा के विद्यार्थी संगठनों ने भी इस मामले में अपना मौन नहीं तोड़ा है।

सूत्रों ने बताया कि शालाओं में शिक्षकों के तबादले अगर किये भी जाने थे तो इन तबादलों को मई या जून माह में करवा दिया जाता ताकि शिक्षक समय रहते अपनी नयी पदस्थापना वाले स्थान पर जाकर वहाँ की शालाओं के माहौल से रूबरू होकर अपने आप को वे उस हिसाब से ढाल सकते थे।

सूत्रों ने यह भी कहा कि बीच सत्र में किये गये तबादलों के बाद तत्काल प्रभाव से शिक्षकों को कार्यमुक्त भी करने के आदेश जारी किये गये थे। उन शिक्षकों जिनके तबादले हुए थे, उनको कार्यमुक्त भी कर दिया गया है, किन्तु अधिकांश ने नयी पदस्थापना वाले स्थान पर जाकर कार्यभार नहीं सम्हाला है।

सूत्रों ने कहा कि जितने भी शिक्षकों के तबादले हुए हैं, उसमें से सत्तर फीसदी शिक्षकों के द्वारा अपने – अपने राजनैतिक आकाओं के जरिये स्थानांतरण संशोधन की कवायद की गयी है। यही कारण है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों को अब तबादला आदेश में संशोधन करने में पसीना आ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों का मानना है कि अगर सत्तर फीसदी शिक्षकों के तबादला आदेश में संशोधन किया गया तो डीईओ कार्यालय के अधिकारियों और अन्य स्टाफ पर लेन देन के आरोप लगने लगेंगे, जबकि तबादला आदेश जारी करने और निरस्तीकरण की प्रक्रिया में विभाग के अधिकारियों की भूमिका महज़ डाकिया की ही रही।

वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ एक कर्मचारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जितने भी तबादले हुए उनमें से अधिकांश सियासी दबाव में हुए और अब निरस्तीकरण के मामले में भी नेताओं का जमकर दबाव है।

उक्त कर्मचारी का कहना था कि तबादलों के बाद संशोधित सूची तैयार है पर इसे जारी करने में अधिकारियों को पसीना आ रहा है। इसका कारण यह है कि इतनी अधिक तादाद में जिले में तबादलों के बाद संशोधन आदेश संभवतः पहली ही बार जारी होगा, जिस पर बवाल मच सकता है। तबादला आदेश की संशोधित सूची को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रार मची दिख रही है।

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