सिवनी में यातायात को सम्हालना किसी के वश की बात नहीं दिख रही है। यातायात में सुधार के लिये यातायात प्रभारी भी समय-समय पर बदले जा रहे हैं लेकिन उनमें से कोई भी यातायात प्रभारी अब तक सिवनी के यातायात को पटरी पर लाने में सफल नहीं हो सका है। यातायात के संबंध में ही मैं इस स्तंभ के माध्यम से अपनी बात रखना चाहता हूँ।
अव्यवस्थित यातायात की स्थिति सिवनी में किसी से छुपी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि इसको सुधारने की दिशा में प्रयास न किये जा रहे हों लेकिन उन प्रयासों की उम्र अत्यंत कम होने के कारण उनमें से किसी भी प्रयास को नाकाफी ही कहा जायेगा। सिवनी में यातायात के लिये नित नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं लेकिन उनमें से कोई भी सफल होता नहीं दिख रहा है।
हाल ही में सिवनी में बड़े जैन मंदिर के समीप काले और पीले रंग से पुते प्लास्टिक के ब्रेकर लगाये गये थे लेकिन ये ब्रेकर कब हवा होकर वहाँ से गायब हो गये, उसके बारे में किसी को पता ही नहीं चला। ये ब्रेकर लगाये ही क्यों गये थे, यह भी किसी की समझ में नहीं आया। सिवनी में और भी स्थानों पर ब्रेकर बने हुए हैं जो प्लास्टिक जैसी किसी धातु के तो नहीं हैं लेकिन बनाये बेहद ही बेतरतीब तरीके से गये हैं।
सिवनी में शायद ही कोई स्पीड ब्रेकर ऐसा होगा जो मानकों पर खरा उतरता होगा, उसके बाद भी इस ओर किसी के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह भी अजीब रूप से देखा जाता है कि सिवनी में जब किसी रोड का निर्माण करवाया जाता है तो उस क्षेत्र के कुछ निवासियों के द्वारा ठेकेदार पर दबाव डालकर अपने घर के सामने स्पीड ब्रेकर बनवा दिया जाता है जिसकी कोई आवश्यकता रहती ही नहीं है। इस तरह की प्रवृत्ति के चलते एक छोटी सी रोड पर ही कई ब्रेकर बने हुए मिल जायेंगे जो अत्यंत घटिया स्तर के होते हैं।
इस तरह के ब्रेकर अपने उद्देश्य में उतना सफल नहीं होते जितना ये सड़क दुर्घटना का कारक बनते हैं। आला अधिकारियों से अपेक्षा ही की जा सकती है कि वे अपने कीमती वक्त के बीच इस ओर भी ध्यान देकर कम से कम, जिला मुख्यालय में बनाये गये अमानक तमाम गति अवरोधकों को नेस्तनाबूद करने की दिशा में शीघ्र अतिशीघ्र कदम उठायेंगे।
अशोक माथुर

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