(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। पंचायती राज का पैसा गाँव के विकास मंे लगना था लेकिन अधिकारियों के द्वारा ध्यान न दिये जाने के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। उक्ताशय की बात पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही गयी है।
उन्होंने कहा कि गाँवों के लिये त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी। इस व्यवस्था के अस्तित्व में आने के बाद भी अब तक गाँवों का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। उन्होंने इस संबंध मेें उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह जिला कलेक्टर ने नगर पालिका से 01 करोड़ 12 लाख रूपये की राजस्व वसूली करवायी है उसी तरह ग्राम पंचायत की जो बकाया राशि है उसे वसूला जाकर गाँवों के विकास की योजना बनायी जाना चाहिये।
पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने कहा है कि कान्हीवाड़ा ग्राम पंचायत के बाजार वसूली की राशि 10 लाख रूपये से ज्यादा बकाया है। उन्होंने कहा कि यदि इस राशि को ही वसूल करके ग्राम पंचायत के खाते में ला लिया जाये तो इस राशि से ग्राम पंचायत में बड़ा कार्य हो सकता है। श्री चौरसिया ने कहा है कि इसी प्रकार अन्य मद भी हैं जिनसे ग्राम पंचायत को आय होती है लेकिन उनकी राशि रसूखदारों के पास बकाया है।
इसके साथ ही अनिल चौरसिया ने विज्ञप्ति में कहा है कि विगत 15 वर्षों में कई ऐसे सरपंच सचिव हुए हैं जिन पर गबन प्रमाणित हो चुका है लेकिन उनसे एसडीएम आज तक गबन की राशि वसूल नहीं पाये हैं। विज्ञप्ति में श्री चौरसिया ने यह भी कहा कि अनेक सरपंच सचिव ऐसे भी हैं जिन्होंने जब चुनाव लड़ा था तब उनके पास एक टूटी फूटी साइकिल हुआ करती थी लेकिन आज उनके पास चार पहिया वाहन ही नहीं 2-3 मोटर साइकिल हैं और पक्का मकान होने के साथ ही साथ सुख सुविधाओं के सारे साधन उपलब्ध हैं।
श्री चौरसिया ने विज्ञप्ति में कहा है कि ये पैसा पंचायती राज का ही है जिसे गाँव के विकास में लगना था लेकिन वैसा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा है कि जिला कलेक्टर को गाँवों के राजस्व वसूली के लिये भी अभियान चलाना चाहिये। उन्होंने कहा है कि वसूली के बाद ग्राम पंचायत में ऐसे कार्य करवाये जाने चाहिये जिससे कि आम जनता जिला कलेक्टर और काँग्रेस सरकार को याद रखे।

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