जगह-जगह बन चुके बस स्टैण्ड बन रहे परेशानी का सबब
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। शहर में यात्री बसों में की धमाचौकड़ी रूकने का नाम नहीं ले रही है। जगह – जगह बन चुके अघोषित बस स्टैण्ड यातायात को प्रभावित करते दिखते हैं। सिवनी से होकर गुज़रने वाली यात्री बस नियमानुसार परमिट लिये हुए हैं अथवा नहीं, यह देखने की फुर्सत भी किसी को नहीं रह गयी है।
यात्रियों का कहना है कि बसों से फर्स्ट एड बॉक्स पूरी तरह से नदारद ही हैं। कुछ बसों में फर्स्ट एड का बॉक्स अवश्य लगा हुआ है लेकिन उनमें प्राथमिक उपचार का आवश्यक सामान न होकर कुछ और ही भरा हुआ होता है। ऐसे में यदि कोई दुर्घटना होती है तो घायल होने वाले यात्रियों को बाहरी मदद पर ही निर्भर होना पड़ता है।
इसी तरह बसों में शुरू-शुरू में आपात कालीन द्वार अवश्य दिखायी देते थे लेकिन अब वे भी नदारद हो चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर यही बात आती है कि दुर्घटना की स्थिति में यात्री परेशानी में भी पड़ सकते हैं। आपात कालीन द्वार तो ठीक है यहाँ तो हालात ये हैं कि कई बसों की खिड़कियां तक नहीं खुलतीं हैं। ऐसी स्थिति को क्या कहा जायेगा? आखिर यात्रियों की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है यह समझ से परे ही है।
बसों से किराया सूची भी नदारद है। आरंभ में कुछ बसों में विभिन्न स्थलों का किराया अवश्य दर्शाया गया था लेकिन उस सूची के हिसाब से किराया शायद ही कभी लिया गया हो। आज भी कमोबेश वही स्थिति है बल्कि उससे भी बदतर है। आज बसों से किराया सूची गायब हो चुकी है और यात्रियों से मनमाना किराया वसूले जाने के कारण कई बार यात्रियों और बसों के एजेन्ट्स के बीच अप्रिय स्थिति भी बनती रहती है लेकिन उससे प्रशासन को शायद कोई सरोकार नज़र नहीं आता है।
सिवनी में तो जैसे बस संचालकों को मनमानी करने की छूट ही प्रदान कर दी गयी है। ये बसें शहर के अंदर जाम लगने का प्रमुख कारण बन रही हैं। शहर के अंदर जगह – जगह से सवारियां बटोरने के कारण अस्थायी बस स्थानक, कई स्थानों पर बन गये हैं। यातायात विभाग के सिपाहियों का भी जोर इन बसों के चालकों पर जरा भी पड़ता नहीं दिख रहा है।
शहर में बस स्टैण्ड से सवारियां लेने के फेर में ये बसें तूफानी गति से प्रवेश करतीं हैं और यहाँ से अपने गंतव्य की ओर रवाना होते समय यही बसें विभिन्न स्थानों से सवारियां बटोरने के चक्कर में लगभग रेंगते हुए ही चलतीं हैं जिसके कारण कई बार शहर के अंदर, इन्हीं बसों के पीछे जाम जैसी स्थिति भी बनती है लेकिन इन बसों के चालकों को उससे कोई सरोकार नज़र आता है। संबंधित विभागों को बस संचालकों की मनमानी की ओर ध्यान देने की अपेक्षा शहरवासी कर रहे हैं।

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