कर्ज का बोझ घटाने के उपाय बताएगा नीति व योजना आयोग

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। विकास परियोजनाओं की गति बरकरार रखने के लिए मप्र सरकार हर साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से कर्ज लेती है। यह लगभग दो लाख करोड़ रुपए हो गया है।

बढ़े कर्ज के बोझ को कम करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य नीति एवं योजना आयोग को जिम्मेदारी सौंपी है कि वो सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए रिपोर्ट तैयार करे। आयोग ने तय किया है कि वो इसके लिए वित्त विशेषज्ञों की मदद लेगा। अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन करके एक रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिसमें कर्ज का बोझ कम करने के उपाय भी बताए जाएंगे।

कमलनाथ सरकार ने जनवरी 2019 से अभी तक 19 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसे मिलाकर प्रदेश के ऊपर कर्ज का बोझ दो लाख करोड़ रुपए से ऊपर हो गया है। विकास कार्यों में बजट की कमी आड़े न आए, इसके लिए वित्त विभाग आने वाले दिनों में कुछ और कर्ज बाजार से ले सकता है। कर्ज चुकाने और ब्याज अदायगी में सरकार के लिए बजट में लगभग 13 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। सरकार कर्ज के इस बोझ को कम करना चाहती है ताकि ब्याज में जो राशि देने पड़ रही है, वो कम से कम हो।

इसी मकसद से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य नीति एवं योजना आयोग को जिम्मेदारी सौंपी है कि वो दूसरे राज्यों का अध्ययन करके एक रिपोर्ट तैयार करे, जिसमें कर्ज कम करने के उपाय हों। आयोग ने तय किया है कि महराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू सहित अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कराया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई जाएगी। टीम वहां की व्यवस्थाओं को अध्ययन करके मध्यप्रदेश की परिस्थितियों के मद्देनजर अर्थशास्त्रियों से चर्चा करेगा। इसके बाद रिपोर्ट तैयार करके शासन को सौंपी जाएगी।

राजस्व बढ़ाने के उपाय भी सुझाएगा आयोग

आयोग कर्ज का बोझ कम करने के उपाय बताने के साथ-साथ सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए सुझाव भी देगा। इसके लिए पिछले सालों में प्राप्त हुई आय की समीक्षा की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां से राजस्व में वृद्धि की जा सकती है।

मप्र पर कर्ज की स्थिति (राशि करोड़ रुपए)

बाजार का कर्ज- 1,04,715.76

ऊर्जा सहित अन्य बॉण्ड- 7,407.61

केंद्र सरकार से कर्ज व अग्रिम-17,137.25

वित्तीय संस्थाओं से कर्ज- 12,283.98

अन्य देनदारियां- 15,747.06

राष्ट्रीय लद्यु बचत निधि से- 23,697.14

(आंकड़े 31 मार्च 2019 की स्थिति और करोड़ में) 

 

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