(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। कोरोना को लेकर पिछले दो तीन दिनों के भीतर देश में भय का माहौल बना है। भारत में कोरोना के संक्रमण के शिकार पाँच लोगों में चार खुद से ठीक हो जाते हैं। इसे देखते हुए भारतीय शोधकर्त्ता और वैज्ञानिक ने देश वासियों से अपील की है किसी को भी इस वायरस से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
उक्ताशय के साथ शोधकर्त्ता गगनदीप कांग ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के 30 मामले सामने आये हैं, जिसमें से 16 इटली के पर्यटक हैं। इसके अलावा केरल के जिन तीन नागरिकों में कोरोना के संक्रमण पाये गये थे वे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।
पिछले वर्ष लंदन में रॉयल सोसाइटी में फेलो चुनी गयीं पहली भारतीय महिला गगनदीप ने बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों को चाहिये कि वह लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करें। वे लोगों को बतायें कि कैसे किसी संक्रमित शख्स से दूरी बनायी रखी जाये और किन जगहों पर जानें से बचा जाये।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर समझाया कि इस समय कोरोना के उपचार कारगर नहीं हैं, लेकिन ये मददगार हैं। उन्होंने कहा कि पाँच में से चार लोग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और ऐसे संक्रमितों को खांसी और बुखार के लिये केवल पेरासिटामोल जैसी दवाएं ही काफी हैं। पाँचवें संक्रमित को अस्पताल में भर्त्ती करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिये।
अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर महामारी की रोकथाम के लिये काम करने वाली नॉर्वे की संस्था कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन भी कोरोना के लिये टीका आविष्कार करने में जुटी है।
शोधकर्त्ता गगनदीप कांग ने कहा, कोरोना को लेकर किसी को बहुत ज्यादा चिंता करने या घबराने की आवश्यकता नहीं है। हम हर दिन वायरस के संपर्क में आते हैं। सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों को अच्छी तरह से धोते हैं। फर्श पर भी कीटाणु नाशक का पोछा लगायें। अपना चेहरा छूने से बचें।
कोरोना वायरस (सीओवी) असल में वायरसों का एक बड़ा परिवार है, जिसके चलते सामान्य जुकाम से लेकर सांस संबंधी गंभीर परेशानी हो सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से सामान्य सर्दी से लेकर सांस लेने में दिक्कत जैसी बीमारी हो सकती है। जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया में 3000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 90 हजार से ज्यादा लोग इसके संक्रमण में आ चुके हैं। अच्छी बात यह है कि 53000 लोग इस संक्रमण से उबर चुके हैं।
कोरोना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही वैश्विक आपात काल घोषित कर दिया है। हमें इसे महामारी बनने से रोकना होगा। नाक और गले में सूजन को देखकर कोरोनो वायरस के संक्रमण का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। हालांकि जाँच में इसके संक्रमण का पता लगने में 12 से 24 घण्टे लगते हैं।
कांग ने कहा कि इस समय देखने में आया है कि अन्य फ्लू के मुकाबले कोरोना से बच्चों में गंभीर बीमारी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि ये वायरस बुजुर्गों या फिर ऐसे लोगों में जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं, के लिये खतरनाक है।
दिल्ली के सभी प्राइमरी स्कूल 31 मार्च तक बंद : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये सरकार कई फैसले ले रही है। देश में अब तक कोरोना वायरस के 30 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली सरकार ने राज्य के सभी प्राइमरी स्कूलों को 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के दफ्तरों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस पर भी रोक लगा दी गयी है।
टीका बनने में लग सकते हैं एक साल : कांग ने बताया कि कोरोना का टीका तैयार होने में एक साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है। हालांकि वे यह भी मानतीं हैं कि टीका से कोरोना का पूर्ण उपचार हो जायेगा ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने बताया कि सीईपीआई कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिये यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका – बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रही है, जिन्होंने 06 हफ्तों में एक टीका तैयार कर लिया है। इन टीकों का क्लीनिकल ट्रायल किया जायेगा। इस टीका का पूरी तरह से तैयार होने में साल भर का वक्त लग सकता है।
कांग ने कहा कि खांसी या छींकने वाले लोगों से छः से 10 फीट की दूरी पर रहने की आवश्यकता है। हालांकि सघन आबादी वाले भारत में इतनी दूरी बना कर रखना मुश्किल है।

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